नई दिल्ली.
बीजेपी मार्गदर्शक मंडल के सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी
ने कहा है कि उनसे जुड़े जिन्ना विवाद को कुछ लोगों ने बढ़ाया। उनका कहना
है कि वे आज भी जिन्ना को लेकर अपनी राय पर कायम हैं। आडवाणी ने बढ़ती उम्र
के आधार पर किसी को खारिज किए जाने का भी विरोध किया। आडवाणी ने कहा कि
अटल बिहारी वाजपेयी को 'भारत रत्न' दिया जाना चाहिए और यह उनका उचित सम्मान
होगा। 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन है। पिछले कुछ वर्षों
से वे अस्वस्थ हैं और दिल्ली के अपने सरकारी आवास पर रहते हैं।
जिन्ना विवाद
एक टीवी न्यूज चैनल से बातचीत में आडवाणी ने कहा कि कुछ लोगों ने जिन्ना विवाद को तूल दिया। उनके मुताबिक अटल बिहारी वाजपेयी ने इस मुद्दे पर उनका समर्थन किया था। आडवाणी के मुताबिक, 'अटल जी ने मुझसे कहा था, लोगों ने जिन्ना को पढ़ा नहीं है, इसलिए तुम्हारी बात समझ नहीं पाए।' आडवाणी ने कहा कि वे आज भी जिन्ना को लेकर अपनी राय पर कायम है। गौरतलब है कि जून, 2005 में कराची में आडवाणी ने पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना को 'धर्मनिरपेक्ष' और 'हिंदू-मुस्लिम एकता का दूत' बताया था। आडवाणी ने भारत के विभाजन को कभी न बदली जाने वाली इतिहास की सच्चाई भी बताते हुए अखंड भारत के कॉन्सेप्ट से दूरी बना ली थी। जबकि यह ऐतिहासिक तथ्य है कि जिन्ना ने ही द्विराष्ट्र सिद्धांत (टू नेशन थियरी) के तहत भारत से अलग पाकिस्तान बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाई थी।
अटल को भारत रत्न
आडवाणी ने कहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि यूपीए की सरकार के समय ही उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस बारे में चिट्ठी लिखी थी। आडवाणी ने अटल को देश का सबसे कामयाब प्रधानमंत्री बताया। अटल को पीएम पद का प्रत्याशी घोषित किए जाने के बारे में उन्होंने कहा, 1995 में मैंने मुंबई में मंच पर अटल को पीएम पद का प्रत्याशी उनसे पूछे बिना पार्टी अध्यक्ष के नेता घोषित किया था। उस घटना के बारे में आडवाणी ने बताया कि अचानक घोषणा किए जाने से अटल उनसे खिन्न हो गए थे। आडवाणी के मुताबिक अटल ने उनसे कहा था कि ऐसी घोषणा से पहले कम से कम मुझसे पूछ तो लेते। आडवाणी ने कहा कि देश और पार्टी ने उनके फैसले पर मुहर लगाई।
एक टीवी न्यूज चैनल से बातचीत में आडवाणी ने कहा कि कुछ लोगों ने जिन्ना विवाद को तूल दिया। उनके मुताबिक अटल बिहारी वाजपेयी ने इस मुद्दे पर उनका समर्थन किया था। आडवाणी के मुताबिक, 'अटल जी ने मुझसे कहा था, लोगों ने जिन्ना को पढ़ा नहीं है, इसलिए तुम्हारी बात समझ नहीं पाए।' आडवाणी ने कहा कि वे आज भी जिन्ना को लेकर अपनी राय पर कायम है। गौरतलब है कि जून, 2005 में कराची में आडवाणी ने पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना को 'धर्मनिरपेक्ष' और 'हिंदू-मुस्लिम एकता का दूत' बताया था। आडवाणी ने भारत के विभाजन को कभी न बदली जाने वाली इतिहास की सच्चाई भी बताते हुए अखंड भारत के कॉन्सेप्ट से दूरी बना ली थी। जबकि यह ऐतिहासिक तथ्य है कि जिन्ना ने ही द्विराष्ट्र सिद्धांत (टू नेशन थियरी) के तहत भारत से अलग पाकिस्तान बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाई थी।
इशारों में कहा, खत्म नहीं हुआ 'अटल-आडवाणी युग'
अटल बिहारी वाजपेयी के साथ खुद को बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल किए जाने को अटल-आडवाणी युग को खत्म माने जाने पर आडवाणी ने कहा, 'देखिए, कोई युग नहीं होता। अटल जी अस्वस्थ हैं। वे चाह कर भी कोई योगदान नहीं दे सकते हैं। लेकिन मैं तो अभी स्वस्थ हूं। इस लिहाज से मेरी कोई चिंता नहीं है।'
अटल बिहारी वाजपेयी के साथ खुद को बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल किए जाने को अटल-आडवाणी युग को खत्म माने जाने पर आडवाणी ने कहा, 'देखिए, कोई युग नहीं होता। अटल जी अस्वस्थ हैं। वे चाह कर भी कोई योगदान नहीं दे सकते हैं। लेकिन मैं तो अभी स्वस्थ हूं। इस लिहाज से मेरी कोई चिंता नहीं है।'
अटल को भारत रत्न
आडवाणी ने कहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि यूपीए की सरकार के समय ही उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस बारे में चिट्ठी लिखी थी। आडवाणी ने अटल को देश का सबसे कामयाब प्रधानमंत्री बताया। अटल को पीएम पद का प्रत्याशी घोषित किए जाने के बारे में उन्होंने कहा, 1995 में मैंने मुंबई में मंच पर अटल को पीएम पद का प्रत्याशी उनसे पूछे बिना पार्टी अध्यक्ष के नेता घोषित किया था। उस घटना के बारे में आडवाणी ने बताया कि अचानक घोषणा किए जाने से अटल उनसे खिन्न हो गए थे। आडवाणी के मुताबिक अटल ने उनसे कहा था कि ऐसी घोषणा से पहले कम से कम मुझसे पूछ तो लेते। आडवाणी ने कहा कि देश और पार्टी ने उनके फैसले पर मुहर लगाई।
मोदी सरकार पर टिप्पणी
अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकार की तुलना के सवाल पर उन्होंने कहा, 'दोनों अपनी जगह अच्छी हैं। मौजूदा सरकार को इस बात का लाभ मिलता है कि उसके पास अपने बूते बहुमत है। अटल जी के पास यह सुविधा नहीं थी।'
अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकार की तुलना के सवाल पर उन्होंने कहा, 'दोनों अपनी जगह अच्छी हैं। मौजूदा सरकार को इस बात का लाभ मिलता है कि उसके पास अपने बूते बहुमत है। अटल जी के पास यह सुविधा नहीं थी।'
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