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21 दिसंबर 2014

आजादी के 67 साल बाद इस मस्जिद में गूंजी अजान, हिंदुओं ने कराया आबाद


लुधियाना. जब आंखों पर नफरत की पट्टी बांधे कट्टरपंथी पाकिस्तान के आर्मी स्कूल में आतंकी हमले का जिम्मेदार हिंदुस्तान मान रहे हैं, ऐसे में मुल्क के सरहदी सूबे  पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना से उन पर करारी चोट हुई है। यहां साथ लगते गांव हांसकलां में मुल्क के बंटवारे के दौरान वजूद खो चुकी मस्जिद को हिंदुओं और सिखों ने मदद कर फिर से आबाद कराया। रविवार को यहां 67 साल बाद जब इस मस्जिद से अजान की आवाज गूंजी तो जैसे फिजा में कौमी भाईचारे की खुशबू फैल गई। पंजाब के दीनी मरकज के सदर और लुधियाना की शाही जामा मस्जिद के इमाम मौलाना हबीब उर रहमान सानी ने मस्जिद का रस्मी तौर पर उद्घाटन करने के साथ ही नमाज भी अदा कराई।  
आजादी के 67 साल बाद इस मस्जिद में गूंजी अजान, हिंदुओं ने कराया आबाद
 
अहम पहलू है कि हजारों की आबादी वाले हांसकलां गांव में मुसलमानों के महज दो ही परिवार हैं। जिनकी खातिर इस मस्जिद को फिर से आबाद करके बंटवारे के वक्त पीरों-फकीरों की इस पावन धरती पर लगे नफरत के दाग धोने की सबने मिलकर कोशिश की है। साथ ही यह गांव सिखों की मिनी पार्लियामेंट यानि एसजीपीसी के भूतपूर्व प्रधान जत्थेदार जगदेव सिंह तलवंडी के गांव से कुछ दूरी पर ही है। इस मौके पर शाही इमाम मौलाना हबीब ने जज्बाती होकर कहा कि फिरकापरस्तों और दहशतगर्दों की इंसानियत के खिलाफ नफरत भरी नापाक साजिशों पर यह पाक कोशिश एक करारी चोट हैं। साथ ही रब से दुआ मांगी कि इंसानियत की इस जिंदा मिसाल को देखने के बाद फिरकापरस्तों व अमन के दुश्मनों के दिल भी बदल जाने चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि मस्जिद खुदा का घर है और इसके दरवाजे सबके लिए हमेशा खुले हैं। मस्जिद अमन और मुहब्बत का पैगाम देती है। यहां से दी जाने वाली आजान में यही कहा जाता है कि हम सब इबादत कर कामयाबी की तरफ बढ़ते हैं। इस मौके पर गांव के सरपंच गुरदीप सिंह ने मुबारकबाद देते हुए कहा कि बहुत खुशी और फख्र की बात है कि गांव में रब का एक और घर आबाद हो गया। 

इस मौके पर रखा प्रोग्राम भी भाईचारे की शानदार मिसाल बना। गांव के तमाम लोगों की मौजूदगी में जामा मस्जिद के नायब शाही इमाम मौलाना उसमान रहमानी ने कुरान शरीफ पढ़कर कार्यक्रम की शुरूआत की और कारी मुहम्मद मोहतरम ने नाअत पाक पढ़ी। जबकि गांव वालों ने मिलकर शाही इमाम मौलाना हबीब को सम्मानित किया। इस दौरान पंच मनजीत सिंह, जरनैल सिंह, बीबी ऊषा, अजय पाल सिंह, जसवंत सिंह, जगदेव सिंह, हरदीप सिंह, शाहनवाज अहमद, अकरम अली, शाही जामा मस्जिद के प्रवक्ता मुस्तकीम अहरारी,  इकराम अंसारी, बाबुल खान, बूटा खान, मुफ्ती जमालुद्दीन मौजूद थे।
 
बुजुर्ग अजैब सिंह के दिल में उठती थी टीस
गांव के पूर्व सरपंच अजैब सिंह ने बंटवारे के वक्त चली नफरत की आंधी में इस मस्जिद को ढहते देखा था। उनकी आंखों में बसा वह मंजर हमेशा उनके दिल में एक टीस पैदा करता था। उन्होंने दीनी मरकज पंजाब से संचालित अल हबीब चैरिटेबल ट्रस्ट के सामने इस मस्जिद को दोबारा आबाद करने के लिए कहा। अजैब सिंह की पहल पर गांव के सभी लोगों ने भी मदद का भरोसा दिलाया और  खुदा का घर फिर से आबाद कर दिया गया।

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