इंजीनियर फारूक़ अहमद ख़ान को 19 साल बाद अदालत ने सभी आरोपों से बरी कर
दिया है. ख़ान पर दिल्ली में विस्फोट करने की योजना बनाने का आरोप लगा था.
अनंतनाग के रहने वाले फ़ारूक़ को स्पेशल टास्क फोर्स ने 23 मई 1996 को उनके घर से गिरफ़्तार किया था.
गिरफ़्तारी के वक़्त 30 साल के फ़ारूक़ पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग महकमे में जूनियर इंजीनियर के पद पर काम करते थे.
अनंतनाग के रहने वाले फ़ारूक़ को स्पेशल टास्क फोर्स ने 23 मई 1996 को उनके घर से गिरफ़्तार किया था.
गिरफ़्तारी के वक़्त 30 साल के फ़ारूक़ पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग महकमे में जूनियर इंजीनियर के पद पर काम करते थे.
दिल्ली हाई कोर्ट ने चार साल बाद उन्हें लाजपत नगर विस्फोट मामले से बरी
कर दिया था लेकिन उसके बाद उन्हें जयपुर और गुजरात में हुए बम धमाकों के
मामले में जयपुर सेंट्रल जेल में रखा गया.
जयपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने भी उन्हें रिहा करने का आदेश दिया और उनके ख़िलाफ़ लगाए गए सभी आरोपों को ख़ारिज कर दिया.
फ़ारूक़ की मां कहती हैं, “जिस दिन फ़ारूक़ के अब्बा ने बेटे की जेल की तस्वीर देखी थी तो उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई. अब बेटा तो घर आ गया लेकिन उसके खोए हुए 19 साल कौन लौटाएगा.”
जयपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने भी उन्हें रिहा करने का आदेश दिया और उनके ख़िलाफ़ लगाए गए सभी आरोपों को ख़ारिज कर दिया.
फ़ारूक़ की मां कहती हैं, “जिस दिन फ़ारूक़ के अब्बा ने बेटे की जेल की तस्वीर देखी थी तो उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई. अब बेटा तो घर आ गया लेकिन उसके खोए हुए 19 साल कौन लौटाएगा.”
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