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15 नवंबर 2014

संत v/s सरकार: आश्रम में रामपाल; चारों तरफ 40 हजार जवान, धावा कभी भी

सीआरपीएफ की 15 बटालियन बरवाला पहुंच चुकी हैं। शनिवार रात बरवाला में रामपाल के सतलोक अाश्रम के पास हाईवे पर मौजूद जवान।
 
बरवाला (हिसार). बाबा रामपाल को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस के पास अब बस रविवार का दिन और रात है। बाबा कथित रूप से आश्रम में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। बाहर तकरीबन 40,000 जवान मोर्चा संभाले हैं। बीच में ढाल की तरह हैं, बाबा समर्थक महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चे।

सतलोक आश्रम के बाहर एक हफ्ते से यही नजारा है। सुरक्षाबलों के जवानों का दिन मॉकड्रिल में बीतता है, बाबा के समर्थकों का न्याय व्यवस्था के खिलाफ नारेबाजी में। पुलिस प्रशासन ने आश्रम में रोजमर्रा के समानों की सप्लाई बंद कर दी गई है। दबाव और सुलह की रणनीति साथ-साथ चल रही है। आश्रम प्रबंधक कमेटी के सदस्यों से पुलिस के आला-अफसरों और कुछ नेताओं की वार्ता हो रही है। वार्ता सिरे न चढ़ी तो पुलिस कभी भी आश्रम पर धावा बोल सकती है।

अवमामना मामले में फंसे बाबा को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में 17 नवंबर यानी सोमवार को पेश किया जाना है। इस बीच, मुख्यमंत्री ने अपील की है कि बाबा शांतिपूर्ण ढंग से सरेंडर कर दें। वहीं संत के समर्थक अड़े हैं-जब तक गुरुजी ठीक नहीं हो जाते, तब तक गिरफ्तार नहीं होने देंगे। दूसरी ओर बरवाला से करीब 4 किलोमीटर दूर हिसार-चंडीगढ़ हाईवे पर स्थित आश्रम से महज 300 मीटर पहले रैपिड एक्शन फोर्स, नेवी कमांडो, सीआरपीएफ और राज्य पुलिस के जवान डेरा डाले हैं, जबकि आश्रम के मेन गेट पर बाबा के समर्थकों का कब्जा है। पुलिस ने आश्रम की ओर जाने वाले सभी रास्ते सील कर दिए हैं। यहां तक कि मीडिया को भी जाने की इजाजत नहीं है।
 
इधर, आश्रम के अंदर बिगड़ने लगी व्यवस्था
आश्रम में अब भी संत के हजारों अनुयायी मोर्चा थामे हुए हैं। आश्रम में बिजली, पानी और रसद की आपूर्ति शुक्रवार से बंद है। इससे आश्रम की व्यवस्था गड़बड़ा गई है। आश्रम प्रबंधन कमेटी से बलवान दास ने शनिवार को पत्रकारों से कहा कि आश्रम में पीने का पानी लगभग खत्म हो चुका है। खाने का सामान भी नहीं बचा। पुलिस उनके आश्रम में खाने पीने के सामान को आने नहीं दे रही। यह प्रशासन का साधकों के साथ सरासर अन्याय है। प्रशासन ने एक रोज पहले शुक्रवार को आश्रम की रसद और बिजली पानी की सप्लाई रोक दी थी, तब आश्रम के प्रवक्ता राजकपूर ने दावा किया था कि आश्रम में करीब एक महीने का खानपान का सामान है। इस बीच आश्रम के एक अन्य प्रवक्ता राहुल ने कहा कि आश्रम में एक से दो दिन का सामान बचा है।
 
विधायक जयप्रकाश फिर हुए सक्रिय
एक साल पहले संत रामपाल को लेकर उठे विवाद में मध्यस्थता करा चुके पूर्व मंत्री व कलायत के आजाद विधायक जयप्रकाश फिर सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने बताया, "मामला संगीन है। बातचीत से हल हो जाए तो ठीक है। मेरी आश्रम प्रबंधन और अधिकारियों से बातचीत चल रही है। दो दिन से बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर रहे हैं। मेरा सरकार और आश्रम दोनों से प्रेम है। न्यायालय के आदेश की पालना होनी चाहिए, मगर संत की हालत ठीक नहीं है।'
 
पुलिस ने दबिश का ग्राउंड वर्क किया
आश्रम में कार्रवाई करने के लिए पुलिस ने ग्राउंड वर्क पूरा कर लिया है। शनिवार सुबह से ही सुरक्षा बलों के जवान पहुंचने लगे थे। तकरीबन 40 हजार जवान आश्रम के आसपास के इलाकों में तैनात किए गए हैं। खेतों में भी पुलिस का पहरा है। बस अड्डे व रेलवे स्टेशन पर भी नजर रखी जा रही है। अनुयायियों को वापस भेजा जा रहा है। बावजूद इसके कुछ अनुयायी खेतों के रास्तों से आश्रम पहुंचने में सफल रहे। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर मोहम्मद अकील व आईजी अनिल कुमार राव खुद भी डेरा डाले हुए हैं।
 
राहत-बचाव के बंदोबस्त भी  
टकराव की स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने राहत के बंदोबस्त भी किए हैं। जिले के सरकारी अस्पतालों में अतिरिक्त बेड व दवाओं का इंतजाम किया गया है। स्वास्थ्य कर्मचारियों को अलर्ट रहने के आदेश दिए गए हैं। करीब 300 रोडवेज बसें, दमकल गाडिय़ां, एंबुलेंस, क्रेनें और जेसीबी मशीनें किसी भी हालात से निपटने को तैयार खड़ी हैं।
 
टोटल रिकॉल
 
14 साल पहले जेई की नौकरी छोड़ी और बन गए संत
 
- वर्ष 2000 में सिंचाई विभाग से जेई की नौकरी छोड़कर कंबीरपंथ अपनाया।
 
- 2003 में संत रामपाल ने करौंथा में सतलोक आश्रम बनाया।
 
- जून 2006 में संत रामपाल ने महर्षि दयानंद पर कथित टिप्पणी की थी। उसी समय से रामपाल समर्थकों और आर्य समाजियों के बीच विवाद चल रहा है।
 
- 12 जुलाई 2006 में करौंथा में सतलोक आश्रम के बाहर जमा भीड़ पर की गई फायरिंग में झज्जर के युवक सोनू की मौत।

- 13 जुलाई 2006 को प्रशासन ने सतलोक आश्रम को कब्जे में लेकर रामपाल और उसके 37 समर्थकों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। रोहतक कोर्ट में मामला चल रहा है।

- नवंबर 2009 में हाईकोर्ट ने सरकार को आश्रम दोबारा संत रामपाल के ट्रस्ट को सौंपने का आदेश दिया। प्रदेश सरकार और आर्य प्रतिनिधि सभा ने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। 

- 18 फरवरी 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका खारिज कर दी। इससे रामपाल को दोबारा आश्रम मिलने का रास्ता साफ हो गया।

- 7 अप्रैल 2013 को प्रशासन ने सतलोक आश्रम दोबारा संत रामपाल के ट्रस्ट को सौंप दिया।

- इससे भड़के ग्रामीणों ने 9 अप्रैल 2013 को जाम लगाकर विरोध किया। प्रशासन ने 30 अप्रैल तक कब्जा वापस लेने का भरोसा दिया और आर्य समाजियों ने 12 अप्रैल तक का अल्टीमेटम।

- 17 अप्रैल 2013 : रामपाल समर्थकों की याचिका पर सिविल जज ने प्रशासन को आश्रम में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए।

- 2 मई 2013 : आर्य समाजियों की संघर्ष समिति ने बैठक कर 12 मई को निर्णायक कदम उठाने का फैसला लिया। 12 मई को पुलिस व ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प में तीन लोगों की मौत। सैकड़ों घायल।

- 14 मई 2013 : पुलिस ने आश्रम खाली कराया। संत रामपाल बरवाला स्थित आश्रम में चले गए। करौंथा आश्रम प्रशासन के कब्जे में, पुलिस तैनात।

- 14 मई, 2014 : हत्या के मामले में रामपाल की पेशी से छूट खत्म होने के बाद हिसार कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई। सुनवाई के दिन समर्थकों ने कोर्ट परिसर में घुसकर बवाल काटा। वकीलों से हाथापाई की, जजों के खिलाफ नारेबाजी। हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लिया। कई सुनवाई पर बाबा पेश नहीं हुए तो अदालत ने रामपाल और उनके अनुयायी व सेवा समिति के अध्यक्ष रामकुमार ढाका के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया। ढाका पेश हो चुके हैं, उन्हें जमानत भी मिल गई है।
 
इधर, सीएम की अपील
शांतिपूर्ण तरीके से सरेंडर कर दें रामपाल
चंडीगढ़. मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्‌टर ने रामपाल से अपील की है कि वे अदालती आदेश का सम्मान करें और सरेंडर कर दें। खट्टर ने शनिवार को यहां उनके अनुयायियों से भी कहा है कि वे कानून के पालन में सहयोग करें। बोले-प्रजातांत्रिक प्रणाली में सभी को न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए।

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