मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद,
वक्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं,,
मेरी गली से गुजरते हैं छुपाकर
खंजर,,,
रूबरू होने पर सलाम किया करते हैं...
वक्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं,,
मेरी गली से गुजरते हैं छुपाकर
खंजर,,,
रूबरू होने पर सलाम किया करते हैं...
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