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09 नवंबर 2014

दोस्तों यह मुस्कुराते दाड़ी वाले जनाब हाजी अज़ीज़ जावा साहब जो कोटा के मशहूर पीर बाबा मजार जन्ग्लीशाह बाबा के गद्दी नशीं जा नशीं है


दोस्तों यह मुस्कुराते दाड़ी वाले जनाब हाजी अज़ीज़ जावा साहब जो कोटा के मशहूर पीर बाबा मजार जन्ग्लीशाह बाबा के गद्दी नशीं जा नशीं है .इनका कल बुधवार को पचहत्तरवाँ जन्म दिन है ,,ग्यारह नवंबर उन्नीस सो उनचालीस में जन्मे हाजी अज़ीज़ जावा माशा अल्लाह पचहत्तर साल के  होने जा रहे है लेकिन वही दमखम ,,वही जवानी ,,वहीं ज़िंदगानी ,,वही ज़िंदादिली ,,,,खुशमिजाजी और वक़्त आने पर खतरनाक अड़ियल पन ,,,हाल ही में इन जनाब के दिल का इलाज भी हुआ है यह जनाब दिल के मरीज़ है प्लीज़ दिल के  मरीज़ का गलत अर्थ मत निकालना ,,खुदा की क़ुदरत है के माशा अल्लाह इन्हे जान से भी ज़्यादा प्यार करने वाला इनका परिवार इनका कुनबा है ,,,इनको गद्दी पर बिठा कर राज करवाने वाला इनका कुनबा माशा अल्लाह हमेशा सलामत रहे इनकी सह्त्याबी खुशमिजाजी हमेशा बरक़रार रहे ,,इन्हे कामयाबी मिले ,,आमीन ,,,...इनकी मुस्कराहट में दर्द है ..प्यार है ..खिदमत है ..अपनापन है ..जी हा दोस्तों कभी जावा मोटर साइकल के जादूगर मिस्त्री के रूप में पहचान बना चुके भाई अज़ीज़ साहब और इने परिवार को जावा के नाम से जाना जाने लगा ....यह सूफियाना अंदाज़ में थे इसीलिए इनके वालिद के साथ साथ हजरत जंगली शाह बाबा के जीवन काल में उनके खिदमत गार थे फिर अज़ीज़ जावा उनकी म्रत्यु के बाद उनके मजार के निर्माण से लेकर उनके खिदमतगार बन गए ..हर साल मशहूर कव्वालों के साथ मिलकर आलिशान उर्स करवाना ....इनका मिजाज़ है ..अज़ीज़ जावा हज के बाद अल्लाह अल्लाह करने लगे लेकिन दुनिया का प्यार आज भी इनके साथ है अपने परिवार दोस्तों में यह लोकप्रिय है ..हंसी मजाक और एक दुसरे इ मदद का जज्बा इनमे शामिल है .हाजी अज़ीज़ जावा जवानी में इन्द्रा गान्धी की निकटतम रहे सांसद मोलाना असारुल हक के निकटतम सहयोगी और सलाहकारों में से एक प्रमुख रहे है और इनके कार्यकाल में इन्होने मुख्यमंत्री ..राज्यपाल ..केन्द्रीय मंत्रियों के साथ काफी वक्त गुज़ारा है लेकिन कभी किसी को निजी काम नहीं बताया हां अलबत्ता इन्होने सार्वजनिक हित में आम मुसलमानों के शादी ब्याह के लिए कोटा के मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल से मिलकर उनके जरिये जन्ग्लिशाह बाबा परिसर में महफिल खाने का निर्माण करवाया है बाद में पूर्व मंत्री स्वर्गीय अबरार अहमद के सांसद कोष से महफिल खाने के सामने महमान खाना और एक मदरसा बनवाया ..लेकिन खुदा को शायद इस महफिल खाने का व्यवसायीकरण मंजूर था इसलिए इनकी महनत और लगन का फल इन्हें उपेक्षा से मिला जिस महफिल खाने को यह गरीबों को केवल सो रूपये साफ़ सफाई खर्च पर कार्यक्रमों के लिए देते थे इनके हाथ से निकलने के बाद इसका शुद्ध व्यवसायीकरण होगया वाकिफ की मंशा के खिलाफ महमान खाने में वक्फ का कार्यालय खोल दिया गया जबकि महफ़िल खाने का किराया व्यवसायीकरण के रूप में वसूला जाने लगा और इसे खिदमत की जगह पेट पालने और मुसलमानों को लूटने का जरिया बना दिया गया ........हाजी अज़ीज़ जावा यारो के यार कहलाते है ..यह बच्चो में बच्चे बूढों में बूढ़े बनकर रहते है .हंसी मजाक इनकी जीवन शेली है ...हाजी अज़ीज़ जावा से जब बाबा जन्लिशाह मजार परिसर में एक करोड़ की लागत के महफिल खाने के बारे में पूंछा जाता है तो उनकी आँखों में आंसू आ जाते है और वोह सुबक कर कहते है के जिस मजार की वजह से इस परिसर की रोनक है यहाँ महफिल खाने बने है कोटा वक्फ और राजस्थान सरकार के मंत्री ..न्यास अध्यक्ष इस मजार की बेहुरमती कर रहे है करोडो रूपये महफिल खाने पर खर्च लेकिन मजार की देखरेख और मरम्मत रखरखाव पर थोडा भी खर्च नहीं किया गया पिछले दिनों पेढ़ गिरा ..मजार की दीवारे पटांन  खराब हुआ लेकिन अफ़सोस सद अफ़सोस बाबा के मजार परिसर के सोंद्र्य्करण के बारे में किसी कोंग्रेसी मुसलमान या पास की मस्जिद में नमाजियों या वक्फ के पदाधिकारियों हुकूमत में बेठे मंत्री ने नहीं सोचा जबकि इस मामले में वोह लगातार पत्र व्यवहार करते रहे है ..उनका कहना है के जायरीनों का तो क्या वोह तो आते जाते रहते है लेकिन जो बाबा जन्ग्लिशाह परिसर में आया हो और बाबा साहब के यहाँ फूल पेश नहीं किये हो उनकी आस्थाने पर सजदा नहीं किया हो बाबा साहब की उपेक्षा करने वाली ऐसी बढ़ी बढ़ी हस्तियों को हमने मिटते देखा है .....और बाबा साहब की नाराजगी से ऐसे उपेक्षा करने वालों को खुदा इस बार भी सबक सिखाएंगा बख्शेगा नहीं ......वोह कहते है के पीर फकीर जो आराम फरमा है उन्हें माइक लगाकर बेचें किया जाता है तो उनकी रूह को तकलीफ होती है ....जब खुद को खुदा समझने वाले मंत्री मुख्यमंत्री इस परिसर में आते है सियासत करते है और बिना बाबा साहब के दरबार में हाजरी लगाये तकब्बुर के साथ रवाना हो जाते है तो इतिहास गवाह रहा है के वोह कभी कामयाब नहीं हो सके है और इस बार भी कमोबेश ऐसा ही हुआ है ........अशोक गेहलोत और उनके सरकार आज इसीलिए ज़मीन पर है के वोह इस आस्ताने पर तो आये लेकिन बिना फूल पेश किये चलते बने ,,,,,,,,आज उन्हें खुदा ने इसकी सज़ा दे दी है ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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