ब्रिसबेन. जी-20 समिट में शामिल होने के लिए ऑस्ट्रेलिया गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने रविवार को ब्रिसबेन में अंग्रेजी में भाषण दिया। अंग्रेजी में भाषण
देते समय मोदी आत्मविश्वास से भरे हुए नजर आए। पीएम मोदी का अंग्रेजी का
भाषण चर्चा का विषय बन गया है। मशहूर उद्योगपति और महिंद्रा एंड महिंद्रा
के मालिक आनंद महिंद्रा ने ट्विटर पर लिखा, 'पीएम ब्रिसबेन के नागरिक अभिनंदन में अंग्रेजी में भाषा में अलिखित भाषण दे रहे हैं।'
मोदी ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच शिक्षा, पर्यटन, तकनीक समेत कई
क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की बात कही। मोदी ने कहा कि ब्रिसबेन तकनीक के
लिए जाना जाता है। इसी तरह से भारत में हैदराबाद
शहर है, जिसे साइबराबाद कहा जाता है। भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि
दोनों शहरों के बीच सिस्टर सिटी का संबंध बन सकता है। इससे पहले ब्रिसबेन
शहर की ओर से उनका नागरिक अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर सांस्कृतिक
कार्यक्रम पेश किए गए।
नागरिक अभिनंदन से पहले पीएम मोदी ब्रिसबेन के रोमा स्ट्रीट पहुंचे।
यहां उन्होंने महात्मा गांधी की मूर्ति का अनावरण किया। इससे पहले उन्होंने
वहां मौजूद भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया। मोदी ने कहा, '' कुछ लोग
कहते हैं मोदी पीएम बनने के बाद बार-बार गांधी का नाम लेते हैं। जब मैं
गुजरात का सीएम भी नहीं था तब भी ब्रिसबेन के लोगों के बीच मैंने गांधी की
बात की थी।'' मोदी ने कहा कि जब मैं 2001 में यहां आया था तो मैंने यहां एक
परिवार को कहा था कि यहां एक गांधी का मेमोरियल होना चाहिए। मुझे नहीं पता
था कि वो मेरी बात इतनी गंभीरता से ले लेंगे।
मोदी की मौजूदगी को लेकर लोगों में विशेष उत्साह देखा गया। माेदी की
कार जैसी ही वहां पहुंची, लोगों ने 'मोदी-मोदी' और 'भारत माता की जय' जैसे
नारे लगाने शुरू कर दिए। वहां ढोल नगाड़े बज रहे थे। लोगों में उनसे हाथ
मिलाने के लिए होड़ लगी थी। कार्यक्रम के दौरान क्वींसलैंड के गवर्नर और
मेयर भी मौजूद थे।
यह रहे मोदी के भाषण के प्रमुख बिंदु
-2 अक्टूबर को पोरबंदर की धरती पर एक इंसान का नहीं, एक युग का जन्म
हुआ था। गांधी आज विश्व के लिए उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने अपने दौर में
थे।
-आज विश्व जिन दो बड़ी चिंताओं ग्लोबल वार्मिंग और आतंकवाद से जूझ रहा
है, उसका जवाब गांधी के जीवन में है। जी-20 सम्मेलन में भी हमने इसका जिक्र
किया है।
-अगर हम गांधी जी के आदर्शों और शिक्षाओं का अनुकरण करें तो प्रकृति
का शोषण नहीं होगा और ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या से भी निपट सकेंगे।
-महात्मा गांधी ने हमें अहिंसा का रास्ता दिखाया। यह सिर्फ अंग्रेजों
के खिलाफ हिंसा का विरोध नहीं था। गांधी शब्दों की हिंसा के भी विरोधी थे।
-जो लोग बाहर हैं और यहां नहीं पहुंच सके उनका भी मैं सम्मान करता
हूं। अगले कार्यक्रम के लिए साथी मुझे घड़ी दिखा रहे हैं, इसलिए निकलना
होगा।
क्या है मूर्ति की खासियत
जिस प्रतिमा का अनावरण हुआ, उसे दिल्ली के एक मूर्तिकार ने बनाया है।
बापू की यह प्रतिमा 2.5 मीटर ऊंची है। कांसे की बनी इस प्रतिमा में अफ्रीकन
ग्रेनाइट का भी इस्तेमाल किया गया है। ऑस्ट्रेलिया में बसने वाले भारतीयों
ने चैरिटी के माध्यम से इस प्रतिमा के लिए फंड इकट्ठा किया। अनावरण के
दौरान गुजराती मूल के आर्किटेक्ट हेमंत नायक भी मौजूद रहे।
गांधी का नाम अक्सर लेते हैं पीएम मोदी
प्रधानमंत्री बनने के बाद ऐसे कई मौके आए हैं, जब पीएम मोदी ने
महात्मा गांधी का नाम लिया है। सितंबर में अमेरिका के दौरे पर गए मोदी ने
वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास के बाहर लगी गांधी जी की प्रतिमा पर
श्रद्धासुमन अर्पित किए थे। मैडिसन स्क्वॉयर गार्डन में भी मोदी ने गांधी
को याद किया था। चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग जब गुजरात आए थे, तब मोदी
उन्हें साबरमती आश्रम ले गए थे। 2 अक्टूबर को गांधी जी के जन्मदिन के मौके
पर 'स्वच्छ भारत' अभियान की शुरुआत की थी और गांधी जी को स्वच्छता कितनी
प्रिय है, यह बताया था।
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