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16 नवंबर 2014

नहीं हुई रामपाल की गिरफ्तारी, पुलिस की 4 चूक जिनकी वजह से बढ़ा विवाद

फोटो- आश्रम के बाहर बड़ी संख्या में तैनात पुलिस के जवान दिनभर गिरफ्तारी के आदेशों का इंतजार करते रहे, लेकिन इन्हें बिना रामपाल को लिए बिना ही वापस लौटना पड़ा।
 
बरवाला (हिसार). संत रामपाल के शांतिपूर्ण समर्पण को लेकर रविवार को बातचीत के तीन दौर चले। 40 हजार जवान तैनात कर तीन दिन से पुलिस दबाव भी बना रही थी, लेकिन संत की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। अब "सुलह की सुबह' का इंतजार है। हालांकि पहले ऐसे संकेत मिले कि रामपाल तड़के 3 बजे के बाद हाईकोर्ट में पेशी के लिए चंडीगढ़ निकल सकते हैं। पुलिस-प्रशासन के आला-अफसर बरवाला से हिसार लौट आए। आश्रम की घेराबंदी किए जवानों को वहां से हटा लिया गया है। 
 
आश्रम के प्रवक्ता ने पहले संकेत दिए कि गुरुजी स्वस्थ हो गए तो सुबह हाईकोर्ट जा सकते हैं, वरना नहीं। बाद में देर रात आश्रम की ओर से कहा गया  कि रामपाल कोर्ट में पेश नहीं होंगे। केवल उनकी मेडिकल रिपोर्ट पेश की जाएगी। सतलोक आश्रम के मेनगेट पर अनुयायी और अंदर निजी कमांडो उसी तरह डटे रहे। आश्रम के प्रवक्ता राजकपूर ने वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए पेशी की बात फिर दोहराई। ऐसा विकल्प आश्रम प्रबंधन कमेटी के सदस्यों ने सरकार के नुमाइंदों के सामने रखा। सरकारी पक्ष के लोगों ने भी शांतिपूर्ण हल निकलने की उम्मीद जताई है। हालांकि हाईप्रोफाइल मामले का नतीजा क्या होगा, यह सोमवार को ही पता चल पाएगा। 
 
अवमानना के मामले में फंसे रामपाल के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। उन्हें सोमवार को हर हाल में पेश किया जाना है। गिरफ्तारी न होने की सूरत में देखना है कि डीजीपी एसएन वशिष्ठ व गृह सचिव पीके महापात्रा हाईकोर्ट को क्या जवाब देते हैं? बाबा नहीं पहुंचे तो डीजीपी-गृहसचिव को खुद पेश होने के अदालती निर्देश हैं। 
 
पहले आगे बढ़े, फिर खाली हाथ लौट आए
संत रामपाल को गिरफ्तार करने के लिए तीन दिन से पुलिस दबाव की रणनीति बनाए हुए थी, जो कामयाब होती नहीं दिख रही। राज्य पुलिस के अलावा नेवल कमांडो, सीआरपीएफ और आरएएफ के जवान भी मोर्चे पर थे। पूरे अमले के साथ पुलिस रविवार को सुबह 11 बजे आश्रम की ओर बढ़ी, मगर रात तक करीब 200 मीटर दूर खड़ी रही। इस दौरान पुलिस के अफसरों ने अपने काफिले के साथ आश्रम के सामने कई चक्कर लगाए। आश्रम के मुख्य दरवाजे पर डटे अनुयायियों-समर्थकों की वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई। बुलेट प्रूफ गाडियों, वज्र वाहनों, घोड़ा पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों दिखाकर अनुयायियों पर दबाव बनाने की कोशिश की। बाद सुरक्षाबलों के जवानों को नजदीकी थानों और धर्मशालाओं में भेज दिया गया।
 
पुलिस की 4 चूक जिनकी वजह से बढ़ा विवाद
पूरी ताकत झोंकने के बावजूद पुलिस अफसर सतलोक आश्रम के प्रमुख संत रामपाल को गिरफ्तार करने में नाकाम रहे। इस विवाद से निपटने की रणनीति बनाते समय डीजीपी एसएन वशिष्ठ ने कई गलतियां कीं। राज्य सरकार में भी इच्छाशक्ति का अभाव दिखा। सरकार के स्तर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने केवल एक बार रामपाल और उनके अनुयायियों से कानून का पालन करने की अपील की। सरकार और पुलिस के स्तर पर 4 बड़ी चूक हुई जिनकी वजह से बरवाला में पूरा तंत्र कुछ लोगों के आगे बौना नजर आया।
 
पहली चूक- हाईकोर्ट के आदेश को हल्के में लिया
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पहली बार, 5 नवंबर को गैर जमानती वारंट जारी करते हुए राज्य पुलिस को आदेश दिए थे कि अवमानना के मामले में संत रामपाल को 10 नवंबर को अदालत में पेश किया जाए। इसे हलके में लेते हुए पुलिस प्रशासन ने रामपाल की गिरफ्तारी के लिए प्रयास नहीं किए। 8 नवंबर को, पेशी से दो दिन पहले प्रशासन ने औपचारिकताएं निभाते हुए रामपाल के निजी डॉक्टरों से उनके स्वास्थ्य की रिपोर्ट ली और उस रिपोर्ट के आधार पर सरकारी डॉक्टरों से रिपोर्ट बनवाकर हाईकोर्ट में पेश कर दी। हाईकोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई।

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