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17 नवंबर 2014

सूरजमुखी का फुल नहीं ये जयपुर का किला है,कैसे हुआ जयपुर का निर्माण

फोटो- जयपुर के स्थित नाहरगढ़ किले से 19 क्लिक में ली गई जयपुर की 360 डिग्री की तस्वीर।
 
जयपुर. जयपुर की रंगत अब बदल रही है। हाल ही में जयपुर को विश्व के दस सबसे खूबसूरत शहरों में शामिल किया गया है। एशिया की सबसे बडी आवासीय बस्ती मानसरोवर, राज्य का सबसे बड़ा सवाई मानसिंह चिकित्सालय, विधानसभा भवन, अमर जवान ज्योति, एम.आई.रोड, सेन्ट्रल पार्क और विश्व के प्रसिद्ध बैंक इसी कड़ी में शामिल हैं।  

यहां हर 10 कदम पर मंदिर हैं पुराने जयपुर के प्रत्येक चौराहे पर भौमियां जी स्थापित किए गए। इसलिए इसे छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। जयपुर की गणगौर, तीज, दशहरा उत्सव, जयपुर का जोगी जोगणा का तमाशा, पारंपरिक गालीबाजी, मूर्तिकला, गणेश और जयपुर की कशीदा कारी और जरी गोटे का काम देश विदेश में प्रसिद्ध है।
 
यूं बनी गुलाबी नगरी
 
1876 महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी ऐलिजाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से आच्छादित करवा दिया था। इसलिए जयपुर का नाम गुलाबी नगर हो गया।
 
1727 में जयपुर नगर का निर्माण शुरू हो गया था, इनमें प्रमुख खंडों को बनाने में करीब 4 साल का समय लगा। जयपुर की राजधानी आमेर हुआ करती थी।
 
25 साल से जयपुर नगर निगम द्वारा गंगापोल में पूजा अर्चना के पश्चात ही स्थापना दिवस समारोह की शुरुआत होती है। ये समारोह तीन दिन तक चलता है। 
 
9 खंड में 7 चौकडिया
 
जयपुर को 9 खंडों में विभाजित किया गया। दो खंडों में राजकीय इमारतें और राजमहल बसाए गए। इनके अलावा सात चौकडिय़ां थीं। चौकड़ी रामचंद्रजी, चौकडी विश्वेश्वर, चौकडी मोदीखाना, चौकडी तोपखाना, चौकड़ी पुरानी बस्ती, चौकडी रामगंज, चौकडी सूरजपोल हैं। इसके साथ  चांदपोल, अजमेरी गेट, सूरजपोल, सांगानेरी गेट, जोरावर सिंह गेट भी बना। 
 
ऐसे बना खूबसूरत दृश्य
 
जयपुर का 287वां स्थापना दिवस। इसकी शुरुआत आमेर से हुई। पास ही नाहरगढ़। यहां स्थित वॉच टॉवर से देखने पर जलमहल, जंतर-मंतर, सरगासूली से लेकर पुराना जयपुर शहर सहित बाहरी इलाके के साथ-साथ विद्याधर नगर, मुरलीपुरा, झोटवाड़ा सहित पूरा जयपुर दिखाई देता है। मानो जयपुर के विस्तार की पूरी कहानी दिखाई देती हो और यही कहानी पाठकों तक पहुंचाने के लिए 360 डिग्री एंगल से यह तस्वीर ली गई।
 
इसके लिए किले के बाएं हिस्से जलमहल की तरफ से फोटो खींचे गए। आखिरी हिस्से विद्याधरनगर सहित पहाड़ की ओर कैमरा घुमाते हुए 19 क्लिक किए। इसके बाद सभी फोटो को कम्प्यूटर में अपलोड करके एक विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए 360 डिग्री का पैनोरमा फोटोग्राफ तैयार किया गया। - फोटो : महेन्द्र शर्मा

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