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17 नवंबर 2014

हाईकोर्ट में संत नहीं, सरकार की पेशी, रामपाल को 'डराने' में अब तक 40 करोड़ की चपत

फोटो- दो बार फजीहत कराने के बाद सोमवार को पहली बार आश्रम के गेट तक पहुंची पुलिस।
 
हिसार. दो डेडलाइन बीत गई। संत रामपाल सोमवार को आखिरकार हाईकोर्ट में नहीं ही पेश हुए। हाईकोर्ट ने पहले तो 'बेबस' सरकार को जमकर फटकारा। फिर बाबा की गिरफ्तारी के लिए नई समयसीमा 21 नवंबर मुकर्रर की। 

अवमानना मामले में गैर जमानती वारंट के बावजूद रामपाल को दो तारीखों (10 आैर 17 नवंबर) पर नहीं पेश किए जाने पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। जस्टिस एम जियापॉल व जस्टिस दर्शन सिंह की खंडपीठ ने कहा, "रामपाल यदि बीमार हैं तो वे इस मामले पर भी सुनवाई को तैयार हैं। लेकिन लोगों की आड़ लेकर पेश न होना मंजूर नहीं है। वारंट तामील न होने से लोगों में गलत संदेश जा रहा है। इससे मामूली अपराधी भी कोर्ट कार्रवाई से बचने के उपाय तलाश करेंगे। ऐसे में पुलिस प्रशासन वारंट तामील कराने के लिए बेवजह इंतजार न करे।' गिरफ्तारी को लेकर सरकार की रणनीति क्या है, ये सील बंद लिफाफे में अदालत को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
बेंच ने रामपाल की पेशी कराने को लेकर तमाम इंतजामों पर हो खर्च का ब्योरा केंद्र, पंजाब, हरियाणा सरकार व चंडीगढ़ प्रशासन से मांगा है। यह अगली सुनवाई पर कोर्ट को बताना है।
 
रामपाल को 'डराने' में रोज 6 करोड़ खर्च
संत रामपाल के कारण प्रदेश सरकार पर दोहरी आफत है। सप्ताह भर में लगभग 40 करोड़ रुपए का नुकसान तो प्रदेश शासन को हो चुका है। जिला प्रशासन एक शीर्ष अधिकारी के अनुमान के मुताबिक जवानों के प्रतिदिन के मूवमेंट पर करीब 6 करोड़ रुपए खर्च हो रहे है। इनमें जवानों के खर्चे से लेकर वाहनों और अन्य विभागों की गतिविधियां भी शामिल है। बता दें कि रामपाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद 10 नवंबर को हिसार में पैरा मिलिट्री फोर्स और हरियाणा पुलिस की कंपनियां आना शुरू हो गई थी। इसके बाद फोर्स की संख्या लगातार बढ़ती गई। पिछले चार दिनों से फोर्स हिसार पुलिस लाइंस और बरवाला में डटी हुई है। 
 
यूं समझें आंकड़ों का गणित (सभी आंकड़े अनुमानित हैं) 
 
- पैरा मिलिट्री और हरियाणा पुलिस के कुल जवान: 30,000 
  प्रति जवान खर्चा:  1 हजार रुपए (प्रतिदिन)
  कुल खर्चा: 3 करोड़ रुपए

- करीब 100 आईपीएस और एचपीएस के अधिकारी  
  प्रति अधिकारी खर्चा: 2 हजार रुपए (प्रतिदिन)
  कुल खर्चा: 2 लाख रुपए
 
रोडवेज का घाटा अलग   
रामपाल प्रकरण को लेकर प्रदेश के विभिन्न डिपो से रोडवेज की करीब 300 बसें पुलिस डयूटी में लगी हुई हैं। इनमें रोडवेज के करीब 600 कर्मचारी भी तैनात हैं। रोडवेज अधिकारियों के अनुसार एक रोडवेज बस के प्रतिदिन परिचालक के हिसाब से करीब 15 हजार रुपये कमाई करती है।
 
- पुलिस और प्रशासन ने रोडवेज बसों के अलावा करीब 700 वाहन अभियान में लगा रखे हैं। इनमें पुलिस की 400 बसें, 100 वज्र वाहन, 40 बुलेट प्रूफ वाहन, 40 एंबुलेंस, 30 जेसीबी, 20 क्रेन, 20 पीसीआर, 25 ट्रैक्टर और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के करीब 30 वाहन शामिल है।  इन वाहनों के परिचालन पर भी रोज बड़ी रकम खर्च हो रही है।
 
डीजीपी की दलील- खून-खराबे की आशंका, वक्त दीजिए
प्रदेश के डीजीपी एसएन वशिष्ठ और एडीशनल चीफ सेक्रेटरी (होम) पीके महापात्रा पेश हुए। डीजीपी की तरफ से एडवोकेट जनरल बीआर महाजन ने कोर्ट में कहा कि पुलिस आश्रम के बाहर तैनात है। मेनगेट पर महिलाएं और बच्चों को देखते हुए पुलिस ने कड़ी कार्रवाई नहीं की। खून-खराबे से बचते हुए रामपाल को पेश कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे में उन्हें समय दिया जाए।
 
रामपाल के वकील का तर्क-संत बीमार हैं, लेकिन कोर्ट संतुष्ट नहीं
रामपाल के वकील एसके गर्ग ने कोर्ट को बताया कि रामपाल बीमार हैं। जल्द ही वे हाईकोर्ट में पेश हो जाएंगे। इन दलीलों पर हाईकोर्ट ने असंतोष जताया। कहा- उन्हें यह मंजूर नहीं कि लोगों की आड़ में रामपाल पेशी से बचने की कोशिश करें।
 
एमिकस क्यूरी ने कहा- सीएम पर भी हो अवमानना कार्रवाई
अदालत के सहयोगी (एमिकस क्यूरी) वकील अनुपम गुप्ता ने हरियाणा सरकार पर बाबा से मिलीभगत के आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार जानबूझकर रामपाल को पेश करने से बच रही है। ऐसे में डीजीपी, होम सेक्रेटरी के साथ राज्य के मुख्यमंत्री पर भी अवमानना की कार्रवाई की जानी चाहिए।

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