कोटा नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के पूर्व मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल ने
खुद को क्या अलग किया चुनाव कुप्रबंध की बाढ़ आ गयी ,,कांग्रेस के प्रदेश
अध्यक्ष सचिन पायलेट ,,उनके पर्यवेक्षक और उनकी संगठनात्मक टीम को कोटा में
मुंह की खाना पढ़ी है ,,,इससे साबित है के सच में सचिन पायलेट सियासत में
बच्चे थे बच्चे है और बच्चे ही रहेंगे ,,,दोस्तों कोटा नगर निगम चुनाव में
पैसठ वार्ड है यहां हालात यह है के टिकिट के लिए इन वार्डों में घमासान था
लेकिन इस बार कांग्रेस के दिग्गज ,,कांग्रेस की नब्ज़ को समझने वाले पूर्व
मंत्री शान्तिकुमार धारीवाल ने प्रत्याक्षियों की चयन प्रक्रिया से लेकर
चुनावी प्रबंधन मामले में कोटा के लोगों और उनके समर्थकों से माफ़ी चाह ली
थी ,,शांति धारीवाल जैसे दिग्गज के चुनाव प्रक्रिया से दूर होने पर भी
कोंग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलेट के कान पर जू नहीं रेंगी
पर्यवेक्षकों की नौटंकी और दावात बाज़ी का नतीजा यह रहा के कोटा नगरनिगम एक
योजनाबद्ध तरीके से भाजपा के कुछ एजेंटो से मिलकर भाजपा की थाली में
कोंग्रेसी प्रबंधन द्वारा सौंप दी गयी ,,,जी हाँ दोस्तों टिकिट वितरण में
जिताऊ और टिकाऊ उम्मीदवारों की उपेक्षा कर ऐसे लोगों को टिकिट दिया गया जो
खुद अपनी भाग संख्या में भी कांग्रेस को बढ़त नहीं दिला सके थे ,,,,,,इतना
ही नहीं कांग्रेस के ठेकेदारों ने योजनाबद्ध तरीके से जिस दीपक चौधरी
वर्तमान कांग्रेस पार्षद का टिकिट फाइनल किया था सूचि जारी कर दी थी उसी
दिन कांग्रेस के चहेते दीपक चौधरी ने कांग्रेस को अंगूठा दिखाया और
कांग्रेस मुर्दाबाद कर भाजपा ज़िंदाबाद कर दिया ,,,,भाजपा ने बहती गंगा में
हाथ धोते हुए आधे दिन के इन भाजपाई कोंग्रेसी पार्षद को वार्ड का टिकिट
दिया गया ,,,,इस पर भी कांग्रेस को बर्बाद करने के रणनीतिकार संतुष्ट नहीं
हुए उन्होंने इस वार्ड में पूर्व कोंग्रेसी भाजपा प्रत्याक्षी के खिलाफ एक
ऐसे उम्मीदवार का नाम दिया जो स्वीकारित रूप से चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य
थे और मनीष गुर्जर जिनके विरुद्ध मुक़दमे थे उनका आवेदन इस वार्ड से
योजनाबद्ध आपत्ति के बाद कांग्रेस संगठन की विधिक पैरवी नहीं होने से ख़ारिज
कर दिया गया ,,,,,कांग्रेस को तबाह करने के रणनीतिकारों ने कोटा में
मुस्लिम बाहुल्य बीस वार्डों में जानबूझकर मुस्लिम प्रत्याक्षियों की
योपजनबद्ध उपेक्षा की ताकि दूसरे वार्डों में भी मुस्लिम समाज भड़क कर
कांग्रेस से बगावत करे और कांग्रेस की हार सुनिश्चित हो सके ,,इस पर भी
सचिन पायलेट के पर्यवेक्षक और रणनीतिकारों को संतुष्टी नहीं हुई और घंटाघर
का वार्ड ४२ से पूर्ण रूप से मुस्लिम बाहुल्य वार्ड है इस वार्ड में
मुस्लिम वोटर्स को कांग्रेस के खिलाफ करने के लिए कांग्रेस के चुनाव चिन्ह
से प्रत्याक्षी ही नही उतार संदेश देने की कोशिश की गयी के कांग्रेस से
मुसलमान नाराज़ क्या होंगे कांग्रेस ही मुसलमान को निपटा देगी और आज इस
वार्ड में कमल तो खिला है लेकिन कांग्रेस का पंजा मुक्त हो गया है ,,यह
कांग्रेस का आत्मघाती क़दम है ,,,,वार्ड ३२ में कांग्रेस प्रत्याक्षी का
तमाशा तो देखने लायक था जिसने सचिन पायलेट की कांग्रेस पर्यवेक्षक और
स्थानीय टीम को स्वीकारित रूप से नाकारा घोषित कर दिया है ,,,,इस वार्ड में
प्रत्याक्षी को टिकिट दिया गया आवेदन भरवाया गया ,,कांग्रेस का सिंबल
दिया गया लेकिन निर्वाचन के पास इस प्रत्याक्षी का आवेदन पत्र ही नहीं
पहुंचा ,,,,आवेदन जमा कराने की रसीद तक इस प्रत्याक्षी के पास नहीं थी
,,,पांच प्रत्याक्षी पहली सूचि में थे जिन्हे दूसरे दिन अपमानित कर बदल
दिया गया ,,,,पांच वार्डो में घोषित प्रत्याक्षियों को बदल कर उनका अपमान
वार्ड के लोगों को स्वीकार्य नहीं रहा और बगावत के सूर कांग्रेस को
मटियामेट करने के लिए काफी नज़र आ रहे है ,,,,,,वार्ड ३३ में कांग्रेस के
ओकेन्द्र चौधरी का आवेदन आपराधिक मामला होने से ख़ारिज हुआ वहां कोई
कांग्रेस उमीदवार नहीं है जबकि वार्ड ५० में मनीष गुर्जर का आवेदन ख़ारिज
हुआ अब वार्ड ४२ ,,वार्ड ३२ ,,वार्ड ५०,, वार्ड ३३,, चार वार्डों में
कोंग्रेसी प्रत्याक्षी नहीं होने से यह वार्ड सचिन पायलेट की टीम की
मेहरबानी से कांग्रेस के हाथ चुनाव चिन्ह मुक्त होकर कमल का फूल खिला रहे
है ,,,,,,,अफ़सोस इस बात का है के आवेदन प्रक्रिया का नाटक ,,पर्यवेक्षण का
नाटक और फिर अंतिम दिनों तक प्रत्याक्षी सूचि पर एक्सर्साइज़ करने का नाटक
फिर भी खोदा पहाड़ निकली चुहिया वोह भी मरी हुई वाह जनाब सचिन साहव बाह
आपकी टीम खूब रही ,,,,,,कांग्रेस के परम्परागत वोटर्स मुस्लिम समाज के
वार्डों में मुस्लिम प्रत्याक्षियों की योजनाबद्ध उपेक्षा की गई इन वार्डों
में जो लोग अपनी भाग संख्या में कांग्रेस की इज़्ज़त नहीं बचा सके उन्हें
वार्ड का टिकिट दिया गया है ,,,,,एक तरफ तो भाजपा ने पार्टी के
प्रत्याक्षियों के लिए आवेदन भरने से लेकर आवेदनों की जांच आपत्ति और दूसरे
आवश्यक कामों तक वकीलों की एक विशेष टीम की घोषणा की थी जो मौके पर डटी
हुई थी और पल पल की खबर भाजपा के वरिष्ठ नेता उनसे ले रहे थे दूसरी तरफ
नामांकन जांच प्रणाली पूर्ण रूप से कांग्रेस मुक्त नज़र आई उपेक्षित नज़र आई
,,वार्ड ३२ का आवेदन दिए जाने के बाद भी गुम हो जाने का आरोप था लेकिन कोई
कोंग्रेसी वरिष्ठ नेता ने आकर दबाव बनाकर इस आवेदन को तलाशने का दबाव नहीं
बनाया हंगामा नहीं किया ,,,मनीष गुजर का आवेदन अगर तरीके से आपत्ति पर बहस
होती तो ख़ारिज होने से बचाया जा सकता था लेकिन कांग्रेस के फायदा प्राप्त
वकीलों और पदाधिकारियों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई ,,,,,कोटा में कांग्रेस
के इस प्रबंध से अब तो लगता है के भाजपा के पक्ष में और कांग्रेस के खिलाफ
ही कांग्रेस की सचिन पायलेट की टीम को लेकर दाल में कुछ काला है
,,,,,,,अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है कोटा नगरनिगम के बिगड़े इस चुनावी निज़ाम को
सुधारने की कोशिश के लिए नौसिखिये बच्चे से सचिन पायलेट सर अगर पूर्व
दिग्गज मंत्री शांति कुमार धारीवाल से मुनव्वल कर उन्हें कोटा का चुनावी
प्रबनधन संभालने के लिए तैयार करे तो अपेक्षाकृत बेहतर नतीजे आ सकते है
,,लेकिन यह तो तय है के मुस्लिम बस्तियों में टिकिटों की उपेक्षा को लेकर
कोंग्रेसी मतदाताओं में ज़बरदस्त बहुत ज़बरदस्त बगावत है ,,,,,,खेर देखते है
नतीजा क्या होगा कांग्रेस को हम कोटा में ढूंढते रह जायेगे या फिर
कांग्रेस के कुछ अवशेष सम्पर्पित आबिद कागज़ी सरीखे के कोंग्रेसी अपनी
जान की बाज़ी लगाकर बचा ले जाएंगे ,,और कांग्रेस के कुछ अवशेष शेष रह जाएंगे
,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान ,,,,,,
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