संयुक्त राष्ट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मौत की
सजा पर प्रतिबंध वाले प्रस्ताव का विरोध किया है। प्रस्ताव के विरोध में
भारत सहित 36 देशों ने वोट दिए। प्रस्ताव के पक्ष में 114 वोट पड़े। जबकि
मतदान से 36 देश गैरहाजिर रहे।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रथम सचिव मयंक जोशी ने कहा कि इस
प्रस्ताव से हर देश की अपनी कानून प्रणाली के संप्रभु अधिकार का हनन होता
है। अपने कानून के मुताबिक अपराधियों को दंड देने के अधिकार को भी चोट
पहुंचती है। मौत की सजा पर प्रतिबंध के मसौदा प्रस्ताव को पिछले हफ्ते
महासभा की तीसरी समिति में मंजूरी दी गई थी। यह समिति सामाजिक, मानवीय और
सांस्कृतिक मामलों को देखती है।
क्या है प्रस्ताव में
प्रस्ताव के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र महासभा अपने सदस्य देशों से अपील करेगी कि मौत की सजा पर रोक लगाई जाए। गर्भवती महिलाओं, 18 साल से कम उम्र के लोगों और मानसिक या बौद्धिक रूप से विकलांग लोगों को मौत की सजा नहीं दी जाए।
प्रस्ताव के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र महासभा अपने सदस्य देशों से अपील करेगी कि मौत की सजा पर रोक लगाई जाए। गर्भवती महिलाओं, 18 साल से कम उम्र के लोगों और मानसिक या बौद्धिक रूप से विकलांग लोगों को मौत की सजा नहीं दी जाए।
क्यों है भारत मौत की सजा के पक्ष में
भारतीय प्रतिनिधि मयंक जोशी ने कहा, "भारत में विरले मामलों में ही मौत की सजा दी जाती है। ऐसे मामलों में जहां अपराध इतना जघन्य हो कि वह समाज की संवेदना को झकझोर दे।"
भारतीय प्रतिनिधि मयंक जोशी ने कहा, "भारत में विरले मामलों में ही मौत की सजा दी जाती है। ऐसे मामलों में जहां अपराध इतना जघन्य हो कि वह समाज की संवेदना को झकझोर दे।"
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