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27 अक्तूबर 2014

एक अहसास

एक अहसास
आँखों के रस्ते होता हुआ
धीमे-धीमे उतरा रगे-जां में
घुल गया फिर हर रंग में
दिल ,धड़कन,सांस में
हवा सबा में
घटा ,बारिश में
धूप छांव में
आबशार,नदी,समंदर में
अब ज़र्रे -ज़र्रे में वो
सिर्फ़ वो ही
दिखाई देता है मुझको

आशा पाण्डेय ओझा

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