कोटा में अपहरणकर्ताओं द्वारा मासूम रुद्राक्ष की मोत कोटा के लिए ही नहीं
पुरे राजस्थान के लिए एक सबक है ,,,राजस्थान पुलिस ,,राजस्थान की
पत्रकारिता को इस बारे में सोचना होगा ,,,खुद को नाबालिग हरकतों से रोक कर
बालिग़ यानी मेच्योर बनाना होगा ,,,,,,,हाल ही में गुजरात में एक न्रशंस
नाबालिग हत्या के मामले में अभियुक्तों को बरी करने के आदेश की पुष्टि करते
हुए माननीय सुप्रीमकोर्ट ने पुलिस के अनुसंधान और अदालतों में पुलिस
द्वारा बनाये गए मुक़दमों की पैरवी के तोर तरीकों पर उंगली उठाते हुए
इसकी मज़म्मत करते हुए पुरे देश के राज्यों की सरकारों को निर्देशित किया
था के वोह अपने राज्यों में पुलिस कर्मियों को अनुसंधान के तोर तरीके
सिखाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दे और जो अनुसंधान में लापरवाही बरते उनके
खिलाफ कठोर कार्यवाही करे ,,,,सरकारी वकीलों को भी गम्भीर होकर कार्य करने
के लिए उनके प्रशिक्षण का सुझाव दिया गया था ,,,,,,इस मामले में सुप्रीम
कोर्ट ने सरकारों को छ माह का वक़्त देकर आदेश की पालना की डेड लाइन दी थी
,,,,जो खत्म हो गयी है ,,मेने सुप्रीम कर के सभी निर्देशों के आवश्यक
सुझावों के साथ राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री ,,मुख्यसचिव को भेजे लेकिन
अफ़सोस सुप्रीमकोर्ट के इन आदेशों की अनुपालना में अब तक राजस्थान सरकार
ने सरकारी वकीलों को विशेष रूप से प्रशिक्षित करने ,,,,,,,पुलिस
अधिकारीयों को अनुसंधान के तोर तरीकों के मामले में विशेष रिफ्रेशर कोर्स
चलाने के मामल में कोई पहल नहीं की है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थानः
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