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31 अक्तूबर 2014

दोस्तों यह कोटा है यहां मुर्दा कॉम पर हुए अत्याचार मामले में कोई नहीं बोलता और कॉम के लोग कभी एक होकर इन्साफ दिलाने के बारे में सोच भी नहीं सकते

दोस्तों यह कोटा है यहां मुर्दा कॉम पर हुए अत्याचार मामले में कोई नहीं बोलता और कॉम के लोग कभी एक होकर इन्साफ दिलाने के बारे में सोच भी नहीं सकते ,,में बात कर रहा हूँ उन्नीस अक्टूबर की रात मेले दशहरे में एक विधवा महिला शहनाज़ के पुलिस हमले के क़त्ल की जिसके क़त्ल की घटना ज़ालिनों ने इसी कॉम के दलालों से गुमराही वाली अफवाह फैलाकर दबा दी ,,,,,कहते है खून सर चढ़कर बोलता है ,,क़ातिल पुलिस और उसके दलाल इस बेज़ुबान महिला की मोत को चाहे छुपा दे लेकिन खुदा की लाठी में आवाज़ नहीं होती एक दिन इस खून का हिसाब क़ातिल पुलिस और उसके समर्थकों को ज़रूर देना होगा ,,,,मृतक शहनाज़ अपने पति की मोत के सदमे से उबरी भी नहीं थी के मेले दहशरे में अपने नवासा नवासी के साथ जाते वक़्त उन्नीस अक्टूबर को रात दस बजे बाद झुलाबाज़ार से खिलोना बाज़ार में जाते वक़्त निर्मम पुलिस के हमले का शिकार हो गयी ,,,मृतका के सर पर पुलिस का वार हुआ जो उसने बचाने की कोशिश की और लाठी गले पर पढ़ी ,,बच्चा शब्बीर खान और दूसरे लोग बचाने लगे तो उनपर भी हमला हुआ ,,पुलिस की इस बेरहम लाठी ने शहनाज़ को पहले बेहोश किया ,,लेकिन इस ज़ालिम पुलिस के जवानों ने इस अबला पर कोई रहम नहीं खाया और महिला को अस्पताल तक नहीं पहुंचाया नतीजा देरी से अस्पताल पहुंचने पर इस महिला की एक लाठी के वार से ही मोत हो गयी ,,,अफसोस इस बात पर है के मामला बिगड़ता देख पुलिस ने ऐसे लोगों को फोन कर बुलवाया जो पुलिस के अहसानों के बोझ तले दबे है और इन लोगों ने मृतक के परिजनों के काँधे पर हाथ रखा सब्ज़ बाग़ दिखाए और लाश के पोस्टमार्टम करवाने से लेकर दफनाने तक की ज़िम्मेदारी के बाद छूमंतर हो गए ,,,,कुछ लोगों ने अपराधियों को सज़ा दिलवाने के लिए एफ आई आर दर्ज करवाई जिसमे पुलिस निरीक्षक कनीज़ फातमा ,,,बजरंग सिंह ,,दयाराम ,,मांगीलाल ,,रामबाबू निगरानी चौकी की यास्मीन और कई पुलिसकर्मियों की पहचान लिखवाई गई ,,,,पुलिस अधिाकरियों ने एफ आई आर नंबर 302 दर्ज कर धारा 304 आई पी सी लगाई ,,पोस्मार्टम मेन्युप्लेट हुआ ,,गर्दन पर डंडे की चोट का निशाँ छुपाया गया ,,,,,घटनास्थल का ड्यूटी चार्ट अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया जबकि सी सी टीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग जो मख़्सूस लोगों ने देखि थी बाद में तकनीकी खराबी बताकर गायब कर दी गयी ,,कुलमिलाकर अपराधी पुलिसकर्मियों को बचाने की जी तोड़ कोशिश की जा रही है आज भी अगर मृतका का दोबारा पोस्टमार्टम हो तो पुलिस दबाव में किये गए पोस्टमार्टम की चोटों में फ़र्क़ नज़र आएगा और गर्दन की चोट जो पोस्मार्टम में नहीं लिखी गयी वोह अलग से साफ नज़र आजायेगी जिसकी विडिओ रिकॉर्डिंग भी महफूज़ है ,,,क्या क़ुसूर था मृतका शहनाज़ का जिसे पुलिस ने लाठी से वार कर मार डाला ,,,आखिर कोटा शहर ,,कोटा शहर के व्यापारी ,, कोटा शहर के कोंग्रेसी भाजपाई नेता इस क़त्ल के मामले में खामोशी से क़ातिलों के सुबूत मिटाने के खेल को क्यों देख रहे है ,,,आखिर क्यों इस गंभीर घटना के मामले में जनांदोलन नहीं हुआ ,,कहाँ गए वोह नेता जो लोगों को इन्साफ दिलाने के लिए धरने प्रदर्शन की बात करते है ,,,कहा गए वोह अख़बार वाले ,,कहा गए वोह मिडिया कर्मी जो ज़रा सी घटना को बढ़ा चढ़ा कर पेश करते है लेकिन इस जघन्य हत्या के मामले में खामोश बैठे है ,,कोई कुरेदा कुरेदी नहीं कोई फॉलोअप नहीं ,,,,कहा गए वोह इन्साफ का परचम लहराने वाले अफसर ,,,कहाँ गए वोह मुस्लिम कॉम की इन्साफ की बात करने वाले संगठन यह सारे सवाल एक बेबस मोत की शिकार निर्दोष शहनाज़ लगातार इस संवेदनहीन हो चुके कोटा शहर और कोटा वासियों से कर रही है ,,,,खुदा उसे इंसाफ ज़रूर देगा ,,क़ातिलों और क़ातिलों के दलालों को सज़ा ज़रूर मिलेगी यह खुदा भी जानता है और उसका बंदा भी लेकिन कब यह वक़्त बताएगा ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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