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16 अक्तूबर 2014

बेच ही डाले

कबाड़ी वाले ने
तौलते हुए कहा
दो किलो है सर!
अरे, ध्यान से सही तौलो
ज्यादा है, गलत मत बोलो !
ठीक है सर
सवा दो किलो
अब तो ठीक न !!

और, इस तरह हमने
बेच ही डाले
उसके स्मृतियों के कागज़
रद्दी की बोली लगा कर!!
अब बचा रह गया है
मेरे शरीर के उपरले रैक में
उस छुटकू से मन में
वहां भी तो सहेजा था मैंने
उसकी गुलाबी पर कंटीली स्मृतियाँ!
दीपावली से पहले,
करनी है कोशिश
उसकी सफाई की भी...
आखिर यादें भी सडती हैं!
है न !!!!तुहिन-गूँज

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