मेरे सपने
मेरी चाहत
मेरी यादे
सब कुछ
तुमने
कबाड़े की
दुकान में
क्यों बेच डाली है
क़ब्रिस्तान में
दफना दिया होता
मेरी क़ब्र के पास ,,,अख्तर
मेरी चाहत
मेरी यादे
सब कुछ
तुमने
कबाड़े की
दुकान में
क्यों बेच डाली है
क़ब्रिस्तान में
दफना दिया होता
मेरी क़ब्र के पास ,,,अख्तर
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