आपका-अख्तर खान

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25 अक्तूबर 2014

ये फसानो की बातें ,

ये किताबों के किस्से , ये फसानो की बातें ,
निगाहों की झिलमिल जुदाई की रातें|
महब्बत की कसमें , निभाने के वादे ,
ये धोखा वफ़ा का , ये झूठे इरादे |
ये बातें किताबी ,ये नज्में पुरानी ,
ना इन्की हकीक़त, ना इनकी कहानी|
न लिखना इन्हें , ना महफूज़ करना ,
ये जज्बे हैं बस, इनको महसूस करना..

1 टिप्पणी:

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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