आपका-अख्तर खान

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06 अक्तूबर 2014

हम धर्मान्धता से जुड़े है एक दूसरे के धर्म पर छीटा कशी ना करे

मेरे भाइयों मेरे मित्रों ,,,,,,परेशान ना हो ,,हम धर्मान्धता से जुड़े है एक दूसरे के धर्म पर छीटा कशी ना करे ,,,अगर कोई अपने अपने घरों में बकरा ज़िबा करता है तो यह उसका धर्म है ,,,अगर कोई सड़कों पर निर्वस्त्र घूमता है तो यह उसका धर्म है ,,अगर कोई हरियाली वनस्पति जिसमे जीव होता है और जो वनस्पति हमे ऑक्सीजन देकर जीवनदान देती है उसे खाता है तो यह उसका धर्म है ,,अगर कोई किसी मंदिर पर जाकर बकरा काट कर बलि चढ़ाता है तो यह उसका धर्म है ,,,अगर कोई महिला अपने पति के साथ ज़िंदा जलकर सती हो जाती है तो यह उसका धर्म है ,,अगर कोई किसी मंदिर के हिस्से में देवदासियों के पास जाकर खुद की वासना को शांत करके आता है तो यह उसका धर्म है ,,अगर कोई चार शादियां करता है ,,,बिना गुज़ारे के महिला को त्याग कर देता है तो यह उसका धर्म है ,,महिलाओं से दहेज़ लेता है उसका महर खा जाता है तो यह उसका धर्म है ,अगर कोई महिला पांच लोगों के साथ एकसाथ वैवाहिक सम्बन्ध रखती है तो यह उसका धर्म है ,,,अगर कोई अपनी बेटी को गर्भ में जन्म देने से पहले ही मार देता है तो यह उसका धर्म है ,, अगर किसी धर्म में माँ अपने बेटे को जंगल में भेज देती है तो यह उसका धर्म है ,,अगर किसी धर्म में कोई महिला रेखा पार करती है तो यह उसका धर्म है , अगर किसी धर्म पुत्र अपने पिता से जंग करते है ,,अपने भतीजों को घेर कर मारते है ,,कोई महिला अपने जेठ को अंधा कहती है ,,,कोई जेठ अपनी बहु का चीर हरण करता है ,,कोई पति अपनी पत्नी को जुएं में हार जाता है तो यह उसका धर्म है अगर किसी धर्म में दूसरे के यहां चोरी करना ,,औरतों को नहाते हुए छेड़ना उनके कपड़े छुपा देना नटखट पना है तो यह उनका धर्म है ,,अगर किसी धर्मे में हम अपना धर्म देख ले उसके बारे में सोचे दूसरों के धर्म के बारे में सोचने वाले उनके अपने अनुयायी है ,,,, इसलिए दोस्तों सभी धर्मो की अपनी फिलॉसफी है अपनी आस्था है आधा धर्म पढ़ने से किसी को भी कुछ समझमे नहीं आएगा ,,आस्थाएं धर्म में छुपी है सभी कथाओं ,,घटनाओं में धार्मिक शिक्षा छुपी है जो नफरत के भाव से किसी दूसरे के धर्म को पढ़ने और उसका बखान करने से हासिल नहीं होता ,,आओ हम शपथ ले के सभी एक दूसरे के धर्मो की इज़्ज़त करेंगे सम्मान करेंगे और अपन धर्म की परम्पराओं के पालन से किसी दूसरे भारतीय आस्थावान को कोई ठेस कोई तकलीफ ना पहुंचे इसका ध्यान रखेंगे ,,अपने अल्फ़ाज़ों से जो बोलकर जो लिखकर हो उनसे किसी के धर्म का मज़ाक नहीं उड़ाएंगे अपमान नहीं करेंगे खुद ब खुद भाईचारा सद्भावना क़ायम हो जाएगा ,,,प्यार मोहब्बत का रिश्ता क़ायम हो जाएगा ,,नफरत फैलाने वाले इक्के दुक्के लोग अकेले अकेले पढ़ जाएंगे और खुद अकेला पाकर अपने बाल नोच कर पागलों की तरह हरकते करने लगेंगे ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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