कोटा में अपराधनियंत्रण मामले में राजनितिक उपेक्षा और अन्याय मुख्यकारण
रहा है ,,कोटा में पुलिस कमिश्नरेट स्थापित अगर होती तो आज कोटा में अपराध
नियंत्रण के मामले में हमे नीचा नहीं देखना पढ़ता ,,,कोटा के कुछ सियासी लोग
और माफिया नहीं चाहते के कोटा में कमिश्नरेट प्रणाली लागू हो और अपराधियों
की नाक में नकेल डाली जाए इसीलिए कोटा हर हाल में क़ानूनी रूप से कमिश्नरेट
के लिए उपयुक्त होने के बाद भी यहां पुलिस कमिश्नर प्रणाली स्थापित नहीं
की गई है ,,दंड प्रक्रिया संहिता और पुलिस अधिनियम के
प्रावधान के तहत दस लाख से ज़्यादा आबादी वाले शहर में पुलिस कमिश्नर
प्रणाली ज़रूरी है ,,,सभी जानते है के जोधपुर पुलिस कमिश्नर प्रणाली के लिए
कतई उपयुक्त नहीं था लेकिन जनसंख्या और दायरा बढ़ाने के लिए वहां आस पास के
गांव के इलाक़े जोड़े गए और कोटा का हक़ पहले आई आई टी फिर पुलिस कमिश्नर
प्रणाली जोधपुर को दिया गया ,.... कोटा में दस लाख से ज़्यादा आबादी आठ वर्ष
पूर्व से चली आ रही है ,,यहां आपराधिक मामलों की संख्या अधिक है ,,यह
शिक्षा नगरी है ,,औद्योगिक नगरी है ,,लेकिन कोटा में कमिश्नरेट प्रणाली की
जान बूझकर माफियाओं के इशारे पर उपेक्षा की गयी ,,नतीजा हमारे सामने है रोज़
चेन स्नेचिंग ,,रोज़ अपराध ,,रोज़ दुर्घटनाएं ,,,,चोरी ,,डकैती और पुलिस
स्टाफ की कमी यह रोज़ की कहानी हो गयी है ,,,,,,कोटा में अगर कमिश्नरेट
प्रणाली लागू होती है तो यहां एक आई जी स्तर के अधिकारी कमिश्नर होंगे दो
एस पी स्तर के अधिकारी चार अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ,,,दर्जन भर उप अधीक्षक
,,,कई नए थाने ,,,सैकड़ों का नया स्टाफ ,,यातायात पुलिस अलग से ,,पुलिस का
इक़बाल बुलंद होगा ,,,,,,इसीलिए तो कोटा में कमिश्नरेट प्रणाली लागू किया
जाना अपराध नियंत्रण के लिए ज़रूरी है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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