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03 अक्तूबर 2014

पटना में रावण दहन के बाद मची भगदड़ में 33 लोगों की मौत, 100 से ज्यादा घायल

फोटो- पटना के गांधी मैदान पर हुए हादसे के बाद विलाप करते परिजन
 
पटना। दशहरा पर्व के दौरान बिहार की राजधानी पटना के डाक बंगला चौराहे के पास भगदड़ के दौरान करीब 33 लोग मारे गए हैं 100 से अधिक लोग जख्मी हैं। मरने वालों में 27 महिलाएं और छह बच्चे हैं। घायलों को पटना के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।  बिहार के गृह सचिव अमीर सुभानी ने 33 लोगों के मौत की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि रावण दहन के तुरंत बाद गांधी मैदान से बाहर निकली भीड़ जब डाक बंगला चौराहे के नजदीक राम गुलाम चौक के पास पहुंची तो वहां भगदड़ मच गई और यह हादसा हो गया। पटना जिला कंट्रोल रूम से टेलीफोन नंबर 0612-2219810 पर जानकारी हासिल की जा सकती है। चश्मदीदों का कहना है कि बिजली का तार गिरने की अफवाह के चलते भगदड़ हुई। घटना से कुछ देर पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और उनके सहयोगी गांधी मैदान से वापस लौटे थे।
प्रधानमंत्री ने की बिहार के सीएम से बात
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर दुख जताया है। प्रधानमंत्री ने हादसे के बाद बिहार के सीएम जीतन राम मांझी से भी बात की। उन्होंने मरने वालों के परिजन को 2-2 लाख की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। वहीं बिहार के स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने भगदड़ में मरे लोगों के परिजनों को तीन-तीन लाख का मुआवजे की घोषणा की है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को फोन करके हादसे की जानकारी ली है। राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भगदड़ के लिए प्रशासनिक लापरवाही को जिम्मेदार बताते हुए घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। बिहार के एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घटना पर दुख जताते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। पटना से बीजेपी सांसद शत्रुधन सिन्हा ने घटना पर दुख जताते हुए। मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का इस्तीफा मांगा है।
पुलिस छावनी में तब्दील हुआ पटना मेडिकल कॉलेज
हादसे में घायल हुए लोगों को इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज लाया गया। पटना मेडिकल कॉलेज पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है। घायलों के परिजन गुस्से में है। मेडिकल कॉलेज के बाहर सरकार और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी हो रही है। भाजपा सांसद रामकृपाल यादव ने इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। रामकृपाल यादव ने कहा कि कुछ वर्ष पूर्व छठ के अवसर पर हुई घटना से भी राज्य सरकार ने सीख नहीं ली जिसके कारण आज यह घटना हुई। कांग्रेस नेता शकील अहमद ने भी इस घटना के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया है।
दो साल पहले छठ के दिन भी मची थी भगदड़
2012 में गांधी मैदान से महज ढाई किमी दूर गंगा के घाट पर छठ के दिन भगदड़ मची थी। इसमें 27 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले की जांच भी हुई, लेकिन कोई दोषी नहीं ठहराया गया। रास्ते को पतला बताकर खानापूर्ति कर दी गई। पिछले साल गांधी मैदान में ही मोदी की रैली में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे।
पूरा पुलिस अमला सीएम को निकालने और वीआईपी मूवमेंट में लगा रहा

करीब साढ़े छह बजे रावण दहन का कार्यक्रम खत्म हुआ। उसके फौरन बाद मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी वहां से निकले। पुलिस का पूरा अमला वीआईपी मूवमेंट को कंट्रोल करने में जुट गया। गांधी मैदान में छह गेट हैं। पांच को बंद कर आम लोगों के लिए सिर्फ एक गेट खोला गया था। वह भी आधा ही। गेट पर छोटा गड्ढा था और हाईमास्ट लाइट भी खराब थी। लोगों के निकलते समय एक महिला वहां गिर गई। उसे उठाने को चार-पांच लोग झुके। इतने में पीछे से भीड़ आ गई और भगदड़ मच गई।
अफवाह फैली... और लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रावण दहन के बाद दो लोग अफवाह फैला रहे थे कि बिजली का हाईटेंशन तार मैदान में गिर गया है और करंट फैलने लगा है। लोग भागने लगे। भीड़ काफी ज्यादा थी ऐसे में लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए।
चार माह के बच्चे को बचाने में मां नहीं बची
रिंटू शर्मा की पत्नी पुष्पा देवी अपने चार माह के बच्चे को लेकर बहनोई के साथ रावण दहन देखने आई थी। वह मैदान से निकलने लगी। तभी किसी ने पीछे से धक्का दे दिया। जब तक वह संभल पाती जमीन पर थी। पुष्पा ने बच्चे को बहनोई के हाथ में दे दिया, लेकिन खुद नहीं निकल सकी। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। ऐसे ही एक डेढ़ साल की बच्ची पीएमसीएच अस्पताल में मौत से लड़ रही है। उसके माता-पिता जिंदा हैं या उनकी मौत हो गई, कुछ पता नहीं।

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