नई दिल्ली. ''भारतीय मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। भारतीय मुस्लिम भारत के लिए जीता है और भारत के लिए ही मरता है।'' बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले इंटरव्यू में यह बात कही है। इस महीने के अंत में अपने ऐतिहासिक अमेरिकी दौरे से पहले सीएनएन के लिए फरीद ज़कारिया को दिए इंटरव्यू में मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका की संस्कृति और इतिहास में काफी समानताएं हैं।
इंटरव्यू में मोदी ने स्वीकार किया कि भारत-अमेरिका के रिश्तों में कई बार उतार-चढ़ाव आए हैं। हालांकि, वे 21वीं शताब्दी में इसे नई शक्ल देने के प्रति भी आश्वस्त हैं। मोदी ने कहा, "मुझे विश्वास है कि भारत और अमेरिका वास्तविक रणनीतिक गठबंधन विकसित कर सकते हैं।" उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों को दिल्ली और वाशिंगटन की सीमा के भीतर नहीं देखा जाना चाहिए। दोनों देश अपने संबंधों को एक बहुत बड़े क्षेत्र में महसूस कर रहे हैं।
फरीद जकारिया के सवाल, मोदी के जवाब
ज़कारियाः अमेरिका में बहुत सारे लोग और भारत में भी कुछ ऐसे हैं, जो चाहते हैं कि दोनों देश नजदीक आएं। दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और हमेशा कठिनाइयां आई हैं। क्या आप मानते हैं कि भारत और अमेरिका वास्तवित रणनीतिक गठबंधन विकसित कर सकते हैं?
मोदीः मैं इसका एक शब्द में उत्तर दूंगा और पूरे विश्वास के साथ कहता हूां-हां। मैं विस्तार से कहता हूं- भारत और अमेरिका में कई समानताएं हैं। अगर आप बीते कुछ दशकों में देखेंगे, तो दो बातें सामने आएंगी- अमेरिका दुनिया भर से लोगों को अवशोषित कर लेता है और दुनिया के हर एक हिस्से में एक भारतीय है। ये दोनों समाज की विशेषता है। भारतीय और अमेरिकियों के प्राकृतिक स्वभाव में सह-अस्तित्व है। अब हां, बिल्कुल, बीते कुछ दशकों में हमारे संबंधों में उतार-चढ़ाव आए हैं, लेकिन 20वीं सदी के अंत और 21वीं सदी की शुरुआत में हम बड़े बदलाव के गवाह बनेंगे। हमारे संबंध और गहरे हुए हैं। भारत और अमेरिका इतिहास और संस्कृति से एक साथ बंधे हुए हैं। ये संबंध आगे और गहरे होंगे।
जकारियाः अब तक ओबामा प्रशासन के साथ अपनी बातचीत में आपके कई कैबिनेट सदस्यों को यहां आना पड़ा है। क्या आपको लगता है कि वाशिंगटन की वास्तविक इच्छा काफी हद तक भारत के साथ संबंधों को उन्नत करने की है?
मोदीः भारत-अमेरिका के संबंधों को दिल्ली और वाशिंगटन की सीमा में नहीं देखना चाहिए। यह इससे कहीं ज्यादा बड़े आकार का है। अच्छी बात यह है कि दिल्ली और वाशिंगटन, दोनों का मूड इस समझ के साथ सद्भाव में है। दोनों पक्षों ने इसमें एक भूमिका निभाई है।
ज़कारियाः अल कायदा के मुखिया ने एक वीडियो और अपील जारी कर अल कायदा को भारत और दक्षिण एशिया में स्थापित करने की कोशिश की है। उसने कहा है कि वह कश्मीर, गुजरात में उत्पीड़न का सामना कर रहे मुसलमानों को मुक्त करना चाहता है। क्या आपको चिंता है कि वह इसमें सफल हो सकता है?
मोदी- मेरी समझ है कि वे हमारे देश के मुसलमानों के प्रति अन्याय कर रहे हैं। अगर कोई सोचता है कि भारतीय मुस्लिम उनकी धुन पर नाचेंगे, तो यह नहीं हो सकता। भारतीय मुस्लिम भारत के लिए जीते हैं और भारत के लिए ही मरेंगे, वे भारत का बुरा नहीं चाहते।
ज़कारियाः आपके यहां तकरीबन 17 करोड़ मुसलमान हैं, जो अपने आप में उल्लेखनीय है और भले ही अल कायदा के यहां लगभग नहीं या बहुत थोड़े सदस्य हैं, जबकि अफगानिस्तान में अल कायदा और बहुत सारे पाकिस्तान में भी, क्या यह इस समुदाय में नहीं है?
मोदीः सबसे पहले, मुझे कोई मनोवैज्ञानिक या धार्मिक विश्लेषण करने का अधिकार नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि क्या मानवता का दुनिया में बचाव किया जाना चाहिए या नहीं। मानवता में विश्वास करने वाले को एकजुट होना चाहिए। यह मानवता के लिए संकट है, किसी एक देश के खिलाफ नहीं। इसलिए हम मानवता और अमानवता से लड़ रहे हैं। और कुछ नहीं।
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