में प्यार की दूकान
लगाये बैठा रहा ज़िंदगी भर
लोग नफरत के बाज़ार में
खरीददारी करते रहे उम्र भर
मेरी प्यार की दूकान पर
देखो कोई बिक्री न हुई
इधर नफरत बेचने वाले
मला माल होते चले गए ,,अख्तर
लगाये बैठा रहा ज़िंदगी भर
लोग नफरत के बाज़ार में
खरीददारी करते रहे उम्र भर
मेरी प्यार की दूकान पर
देखो कोई बिक्री न हुई
इधर नफरत बेचने वाले
मला माल होते चले गए ,,अख्तर
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