आपका-अख्तर खान

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20 सितंबर 2014

--- नौ सौ चूहे खाकर

एक बार क्लास में मुझे पढाया जा रहा था कि रिक्त स्थान भरो ।
(चाहेँ भरते-भरते दिमाग रिक्त हो जाये)
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नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली ....,..., ­ .चली ।
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अब क्लास मेँ सभी ने इसे पूर्ण किया
पर चूँकि अपन शुरु से ही होशियार
तो मैने भरा - नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली टेढी-मेढी चली।
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मास्टर साहब बोले तू पगला गया है क्या ?
नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को जाती है ।
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मैने कहा - देखो मास्टर साहब पहली बात यह है कि
हम हिन्दू है तो बिल्ली को हज पर क्योँ भेजेँ ?
भाड मेँ जाये ऐसी धर्म-निरपेक्षता ।
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भेजना ही होगा तो हरिद्वार भेजेँगेँ, मथुरा भेजेंगे न.....
और वो तो आप का लिहाज करके इतना चला दिया बिल्ली को
वरना नौ सौ चूहे खाकर तो बिल्ली से हिला भी न जायेँ ।
ये बिल्ली है कोई नेता थोडे न है कि
जो कितना भी खाये,चलते ही जाये !

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