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15 सितंबर 2014

कोटा में क़ानून का केसा दुरूपयोग , कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर क़ानून के नाम पर केसा अत्याचार

कोटा में क़ानून का केसा दुरूपयोग , कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर क़ानून के नाम पर केसा अत्याचार ,,,कांग्रेस कैसे बिखरी हुई है  एक जुट होकर किसी कोंग्रेसी में पुलिस के इस ज़ुल्म इस अत्याचार के खिलाफ प्रदर्शन कर इस अत्याचार को सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं है ,,अफ़सोस इस बात का है के कांग्रेस के दिग्गज नेताओ ने इस मामले में कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर अत्याचार के खिलाफ ब्रीफिंग नहीं  की है ,,,एक विधायक प्रतिबंधित चुनाव क्षेत्र में योजनाबद्ध  तरीके से जाते है प्रचार करते हुए पकड़े जाते है ,,पुलिस या प्रशासन ,,निर्वाचन अधिकारी  लोकप्रतििनिधित्व अधिनियम के तहत कोई कार्यवाही नहीं करते ,,,कांग्रेस के नेता कोई लिखित में शिकायत नहीं दर्ज कराते ,,,,मामला बिगड़ता है ,,गाड़ी  फोड़ नादान लोगों द्वारा क़ानून हाथ में लेकर की जाती है ,,मुक़दमा दर्ज होता है ,,सभी जानते है के दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के अनुपालन में पुलिस फौजदारी दर्ज मुक़दमे में कांग्रेस के नामज़द लोगों को गिरफ्तार नहीं कर सकती इसलिए कार्यकर्ताओं की धरपकड़ विधिविरुद्ध तरीके से शांतिभग मामला बनाकर की गयी ,,,अवैध हिरासत में रखा गया ,,,कार्यपालक मजिस्ट्रेट की जगह तहसीलदार के सामने पेश किया गया ,,कानूनन और सुप्रीम कोर्ट ,,राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देशानुसार की भी तसीलदार स्तर का अधिकारी किसी अभियुक्त से तस्दीक़ शुदा ज़मानत नहीं मांग सकता लेकिन ऐसा हुआ ,,विधि विरुद्ध ज़मानत मांगी गयी ,,जेल भेजा गे फिर हैसियत प्रमाण पत्र देकर  ज़मानत हुई ,,,,,,,,,,राजेन्द्र सांखला ,,,,रज़ाक बाबा ,,आबिद कागज़ी सहित कुछ  कार्यकर्ताओं ने स्वेच्छा से परसो रात को सरेंडर किया लेकिन उन्हें नाजायज़ हिरासत में रखा ,,गिरफ्तारी नहीं बताई चौबीस घंटे में गिरफ्तार व्यक्ति को अदालत पेश करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवमानना की गयी ,,,,,किसी कांग्रेस के पदाधिकारी ने कोई हंगामा नहीं किया ,,फिर जब चुनाव हो गए ,,कार्यवाही पूरी हुई तो शांतिभंग में गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं बनता ,,चुनाव के दिन गिरफ्तारी जायज़ थी लेकिन आज पुरानी घटना को लेकर बनवावती वर्त्तमान मामला गलतबयानी कर बनाने की पुलिस कार्यवाही झूंठी होगी यह बात कोटा के सभी लोग और कांग्रेस के करयकर्ता जानते है ,,शांतिधारीवाल धरीवाल जो पूर्व गृहमंत्री रह चुके है उन्हें इस मामले में ऐसे पुलिस प्रशासन के खिलाफ गंभीर प्रदर्शनकारी क़दम उठाना चाहिए ,,,अफसरों से  सभी नक़ल प्राप्त कर इस प्रकार के कृत्रिम और झूंठे मामले बनाने पर दोषी पुलिस अधिकारीयों को निलंबित करने के लिए आंदोलन करना चाहिए ,,,,  लेकिन क्या ऐसा हो सकेगा ,, कार्यकर्ताओें के खिलाफ दमनकारी नीति मामले में कांग्रेस एक जुट है ,,शायद हाँ ,,शायद ना ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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