आपका-अख्तर खान

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24 सितंबर 2014

मै तो छोटा हू,,,

मै तो छोटा हू झुका लूगा सर को अपने,
पहले बड़े तय कर लॅ, बड़ा कौन है।
जी हाँ दोस्तों यह चंद लाइने उन कमज़र्फ ,,कम अक़्ल लोगों के लिए है जो फेसबुक पर बुद्धिजीवियों की टीम में तो शामिल हो गए है ,,लेकिन अक़्ल से पैदल है ,,,उनमे ना तो तहज़ीब है ,,ना ख़ुलूस ,,उन्हें इतना भी उनके बढ़ो ने ,,माता पिता ने शिक्षकों ने नहीं सिखाया के अपनी बात को बिना कड़वे अल्फ़ाज़ों ,,बेहूदगी ,,बदतमीज़ी के भी कही जा सकती है ,,लेकिन जनाब बुद्धिजीवियों की टीम में तो शामिल हो गए और बाते मोलवी मेहँदी हसन की तरह बेसिरपैर की करते है ,,ज़रा सा कुछ भी लिखो तो नाराज़ हो जाते है ,,गुस्से हो जाते है ,,तेरी मेरी पर आ जाते है ,,भाई यह लड़ने ,,या फिर नफरत फैलाने का मंच नहीं ,,यह मंच प्यार बांटने के साथ साथ मनोरंजन का मंच है ,,एक दूसरे को समझने का मंच है ,,सो प्लीज़ मेरे भाइयों मुझ सहित आपको हमे सभी को अपने अपने गिरेहबान में झाँक कर देखना होगा और खुद को बदलना होगा एक नया समाज ,,एक नया देश देने के लिए वरना ,,नफरत ,,गुस्से और बेहूदगी बदतमीज़ी की यह फसल हम हमारे छोटों और बच्चो को विरासत में अगर दे गए तो फिर इस देश के हालात सुधरने में हम और पिछड़ जाएंगे भाई ,,सो प्लीज़ गोरो फ़िक्र कीजिये ,,,मेने गलत लिखा हो ,,गलत कहा हो तो मुझे माफ़ कीजिये ,,,अख्तर

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