तुम्ही हो मेरी ज़िंदगी
तुम्ही हो मेरी वफ़ा
तुम्ही हो मेरी सांसे
तुम्ही हो मेरी मुरादे
फिर भी तुम क्यों
यूँ ही बेवजह
ख्व्फ खफा सी रहती हो ,,,,अख्तर
तुम्ही हो मेरी वफ़ा
तुम्ही हो मेरी सांसे
तुम्ही हो मेरी मुरादे
फिर भी तुम क्यों
यूँ ही बेवजह
ख्व्फ खफा सी रहती हो ,,,,अख्तर
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