Salman Zafar
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तेरी आँखे.....
उजाले का बदल इन में।
कि शायर की ग़ज़ल इन में।
मुहब्बत का महल इन में।
है गंगा का यह जल इन में।
यह ख्वाबों में दिखाई हैं।
इन्ही में पारसाई है।
तेरी आँखे..... तेरी आँखे...
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तेरी आँखे.....
उजाले का बदल इन में।
कि शायर की ग़ज़ल इन में।
मुहब्बत का महल इन में।
है गंगा का यह जल इन में।
यह ख्वाबों में दिखाई हैं।
इन्ही में पारसाई है।
तेरी आँखे..... तेरी आँखे...
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