"आस बहुत है ,सांस बहुत है,
जीने का विश्वास बहुत है ,
फिर भी मुझको ये लगता है
स्नेह दिया था जिसने मुझको
उसकी आँखें अब भी नम हैं
और सुना है यह भी मैंने
मैं तो खुश हूँ लेकिन वह उदास बहुत है ."
---- राजीव चतुर्वेदी
जीने का विश्वास बहुत है ,
फिर भी मुझको ये लगता है
स्नेह दिया था जिसने मुझको
उसकी आँखें अब भी नम हैं
और सुना है यह भी मैंने
मैं तो खुश हूँ लेकिन वह उदास बहुत है ."
---- राजीव चतुर्वेदी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)