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29 सितंबर 2014

एक अकेले पत्रकार को

एक अकेले पत्रकार को सैकड़ों लोगों द्वारा घेर कर सिर्फ और सिर्फ उसकी लोकतांत्रिक आवाज़ घोटने के लिए पीटा जाता है ,,कहावत याद आती है अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है ,,लेकिन वोह शेर होने का भान तो करता है लेकिन रहता कुत्ता का कुत्ता है ,,,,,यह पत्रकार जी भी बहुत गुलामी करते थे जिनकी गुलामी की उन्ही के सामने उनके ही कार्यक्रम में उनके ही लोगों ने पीटा वैसे अमेरिकन अदालत में इन्हे मुक़दमा दर्ज कराना चाहिए वरना भारत में इन के खिलाफ ऍन आर आई होने के कारण मुक़दमा चलाया जा सकता है जब एक अदालत की फटकार लगेगी तो हवा निकल जाएगी इन सभी जांबाजों की ,,,,,,,,,,भारत के दूसरे पत्रकार तो गुलाम है ही सही उनकी क्या मजाल जो पत्रकारिता के हित और स्वतंत्रता पर कुठाराघात करने वालों के खिलाफ कोई एक जुट होकर आवाज़ उठाए ,,,कहाँ है दिल्ली प्रेस क्लब ,,कहाँ है पत्रकारों की आवाज़ की सुरक्षा की बात करने वाले संगठन सभी मालिकों की जेब में है और मालिक किसकी जेब में है सारा देश और देश का बच्चा बच्चा जानता है ,,,,,,

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