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09 सितंबर 2014

समाज सेवक ,,पत्रकार जीनगर दुर्गा शंकर गेहलोत


 दोस्तों आप से मिलिए आप है समाज सेवक ,,पत्रकार जीनगर दुर्गा शंकर गेहलोत ,,पाक्षिक समाचार सफर के संपादक प्रकाशक ,,,,भाई जीनगर दुर्गा शंकर दुर्गा बनकर गरीबी और ज़ुल्म सितम का विष शंकर बनकर पीकर गरीबों को इन्साफ दिलाने के लिए दुर्गा शंकर बने है ,,,,कोटा के इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड फैक्ट्री में कार्यरत रहे दुर्गा शंकर ने जब इस उद्द्योग में सभी सुविधाये और मुनाफा होते हुए सरकारी भ्रष्टाचार व्याप्त होने से सिसकते देखा तो ,,जीनगर दुर्गा शंकर गेहलोत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की ,,,इसी दौरान गेहलोत मेरे सम्पर्क में आये ,,,गेहलोत इंस्ट्रूमेंटेशन के अधिकारीयों के भ्रष्टाचार के कच्चे चिट्ठे बताते थे और में अपने समाचार पत्र में बेखौफ ,,बेधडक भ्रष्टाचार की दास्ताँ उजागर करता था ,,,कई सालो तक तो दुर्गाशंकर की इस लड़ाई के चलते इंस्ट्रूमेंटेशन बीमारू होने से बचती रही ,,लेकिन भ्रष्टाचारियों सक्रिय काकस ,,गेहलोत को काँटा समझने लगा ,,गेहलोत का स्वभाव रहा है के वोह टूट सकते है लेकिन झुक नहीं सकते ,,,वोह मर सकते है लेकिन बिक नहीं सकते ,,,गरीब और गरीबी उन्हें पसंद है ,,ज़मीर बेचकर ,,,देश बेचकर ,,इमान बेचकर अमीर बनने के वोह हमेशा खिलाफ रहे है ,,,,,,,,,,,जब भ्रष्टाचारियो का ज़ुल्म हद से बढ़ गया तो इन्होें अपनी नौकरी छोड़कर खुद पत्रकार बनने का संकल्प लिया और ,,,प्रिंट मिडिया के संक्रमण काल में समाचार सफर पाक्षिक अख़बार चौबीस पेज का निकालना शुरू किया ,,महनत इनकी थी ,,इनके समाज ,,दलित ,,,अल्सपंख्य्क और ईमानदार लोगों ने इनका साथ दिया ,,कई पूर्व आई ऐ एस ,,,वरिष्ठ ख्यातनाम साहित्यकार और समाज सेवक इनसे इनके अख़बार से जुड़ते गए और ,,संक्रमण काल का दौर होने के बावजूद भी गेहलोत सफल पत्रकार साबित हुए ,,,,गेहलोत ने वर्ष 89 में नफरत और दंगे का माहोल देखा है ,,,ज़ुल्म ज़्यादती के हालात देखे है ,,इन्होने पीड़ितों और शोषितों के हक़ में अत्याचार के खिलाफ संघर्ष क्या पीड़ितों को न्याय दिलवाया और दलित ,,मुस्लिम समाज में यह विशिष्ठ पहचान वाले व्यक्तित्व बन गए ,गेहलोत कई समाज सेवी संगठनों से जुड़े है ,,वोह लिखते है गज़ब का निर्भीक और निष्पक्ष लिखते है ,,,,,,,,अनेकों बार उनकी लेखनी ,,उनका हुलियिा और ज़ालिमों के खिलााफ उठने वाली उनके आवाज़ देखकर लोग उन्हें मुल्ला दुर्गा शंकर कहकर भी सम्बोधित कर देते है ,,लेकिन वोह न डरे ,, ना बाइक बिके ,,बस अपने संघर्ष में जुटे रहे ,,,,,,,इनका समाचार पत्र समाचार सफर पाक्षिक आज पुरे भारत में दलितों और शोषितों की आवाज़ बना है ,,पूरा खबर यह खुद अपने हाथ से लिखते है ,,,खुद उसमे छपने वाली सामग्री का चयन करते है ,,गेहलोत ने जब अख़बार की दुनिया में प्रवेश क्या तो डी पी आर ,,डी ऐ वी पी ,,आर ऍन आई जैसे समाचार पत्रों के विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार देख दुखी हो गए ,,जब यह समाज को नैतिकता की शिक्षा देने की बात करने वाले पत्रकारों को अपने अपने समाचार पत्रों का जायज़ काम करवाने के लिए खुलेआम रिश्वत का खेल चलते देखते थे तो बहुत निराश होते थे ,,लेकिन इन्होने इस के खिलाफ संघर्ष का मन बनाया ,,संघर्ष भ्रष्टाचारियों के खिलाफ था दलाल अख़बारों के खिलाफ था ज़ाहिर लम्बा संघर्ष था लेकिन आखिर में जीत जीनगर दुर्गाशंकर गेहलोत की हुई ,,,वोह देश बदलने की सोचते है ,,संघर्ष करते है ,,देश में एकता ,,,सद्भाव के लिए आन्दोलनरत है ,,भ्रष्टाचार मुक्त भारत ,,समस्या मुक्त भारतीय उनका नारा है ,,,खुदा उन्हें कामयहब करे और उनकी लेखनी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ संघर्ष कर उन्हें भस्मासुर की तरह खत्म करती रहे इसी दुआ के साथ ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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