प्रतीकात्मक फोटो
अहमदाबाद: गुजरात के दो धार्मिक नेताओं ने सांप्रदायिक
सद्भावना की मिसाल कायम की है। मशहूर धार्मिक उपदेशक मुरारी बापू ने एक
कुल्फी विक्रेता को हज करने के लिए पैसे दिए हैं। वहीं, सैयद मेंहदी बापू
नाम के मुस्लिम धर्मगुरु ने शिव मंदिर बनाने के लिए अपनी साढ़े 5 बीघा
पुश्तैनी जमीन दान कर दी।
'श्रद्धालुओं को न हो दिक्कत'
भावनगर के रतौल गांव के सबसे बड़े जमींदार और मुस्लिम धर्मगुरु सैयद
मेंहदी बापू ने अपनी साढ़े 5 बीघा पुश्तैनी जमीन शिव मंदिर बनाने के लिए
दान कर दी। मेंहदी बापू ने कहा, ''मैंने शिव मंदिर के विस्तार के लिए यह
जमीन दी है, ताकि श्रद्धालुओं की बढ़ती तादाद की वजह से लोगों को दिक्कत न
हो। मैंने जब जमीन के कागजात मंदिर के ट्रस्टियों को सौंपे तो मुरारी
बापू को भी आमंत्रित किया था। ''
'पैसे दिए जाने से ज्यादा अहम हज यात्रा'
मुरारी बापू 79 वर्षीय युनूसभाई मलिक को नत्थाभाई के तौर पर बचपन से
जानते हैं। मलिक भावनगर के तलगजरदा गांव में कुल्फी बेचकर अपनी रोजी रोटी
चलाते हैं। मलिक ने बताया कि एक दिन मुरारी बापू ने उनसे पूछा कि क्या
वह हज कर चुके हैं? मलिक ने उन्हें बताया कि वह गरीब आदमी हैं और हज का
खर्च वहन नहीं कर सकते। मलिक के मुताबिक, मुरारी बापू ने उनसे कहा कि वह
चिंता न करें और हज की तैयारी करें। इसके बाद, उन्होंने 6 लाख 20 हजार
रुपए दिए ताकि मलिक और उनकी पत्नी हज को जा सकें। इस बारे में पूछे जाने
पर मुरारी बापू ने कहा, ''मेरे द्वारा रकम दिए जाने से ज्यादा अहम मलिक का
हज को जाना है।''
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