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09 सितंबर 2014

झारखंड: कृषि मंत्री पर लगा 13 लोगों को कत्‍ल कर उनके सिर से फुटबॉल खेलने का आरोप

फाइल फोटो : योगेंद्र साव को सम्मानित करतीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी। 
 
रांची. नक्सली संगठन चलाने और हत्या की सुपारी व लेवी वसूलने के आरोप झेल रहे झारखंड के कृषि मंत्री योगेंद्र साव एक और विवाद में घिर गए हैं। 2001 के बेलतू में हुए नरसंहार में योगेंद्र साव के शामिल होने की बात भी सामने आई है। रांची से सटे हजारीबाग जिले के बेलतू में हथियारबंद माओवादियों ने 13 लोगों को मार डाला था। बताया जाता है कि ग्रामीणों का सिर काटने के बाद नक्सलियों ने उससे फुटबॉल खेला था। झारखंड बनने के बाद राज्य में सामूहिक हत्या की यह सबसे पहली घटना थी। न्यायालय के रिकॉर्ड में बेलतू नरसंहार में शामिल द्वारिका सिंह और बिगन तुरी समेत कई माओवादियों के बयान दर्ज हैं। इन बयानों में योगेंद्र साव के भी नरसंहार में शामिल होने की बात कही गई है। कोर्ट के रिकॉर्ड में दर्ज इन बयानों के सावर्जनिक होने के बाद यह खुलासा हुआ। वहीं, योगेंद्र साव ने इसे साजिश बताया है।  
 
क्या है कोर्ट के रिकॉर्ड में

कोर्ट को दी गई केस डायरी में माओवादी द्वारिका ने बताया था कि माओवाद के खिलाफ केरेडारी में संगठित ग्राम रक्षा दल को सबक सिखाने के लिए 8 अप्रैल, 2001 को खुटरा गंझू के घर पर माओवादियों के एरिया कमांडर कैलाश साव ने एक बैठक की थी। इसमें योगेंद्र साव भी शामिल हुए थे। इस बैठक राम बेलतू, कुलदीप गंझू, सुरेश गंझू, किशोर मिंज, नागो गंझू, मतलू गंझू व बिजली गंझू समेत 15 माओवादी शामिल थे। बैठक में ग्राम रक्षा दल को बर्बाद कर देने का संकल्प लिया गया था।
 
माओवादियों ने सिर काट खेला था फुटबॉल

बताया जाता है कि 14 अप्रैल, 2001 को नक्सलियों की एक बैठक में नरसंहार की रणनीति बनाई गई थी। इसके तहत एरिया कमांडर के नेतृत्व में 300 से अधिक नक्सली बेलतू गांव पहुंचे थे। इनमें योगेंद्र साव भी शामिल थे। नक्सलियों ने गांव पर धावा बोलकर घरों में आग लगा दी थी और 13 लोगों को मार डाला था। मारे गए सभी ग्रामीण थे। इस मामले में पिछले साल 17 जुलाई को हजारीबाग सेशन कोर्ट ने दो आरोपियों को आजीवन कारावास और दो को फांसी की सजा सुनाई थी। इससे पहले ही साल 2003 में तीन आरोपियों को फांसी और 23 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। नक्सलियों ने 2003 में सजा सुनाने वाले जज एके चांद की हत्या का फरमान भी सुनाया था।
 
मामले की सीआईडी जांच

राज्य सरकार ने कैबिनेट मंत्री योगेंद्र साव से नक्सली संगठन चलाने के मामले पर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही, कांग्रेस नेतृत्व से मार्गदर्शन भी मांगा है। सरकार का कहना है कि इस पूरे मामले से छवि खराब हुई है। इस मामले में सीआईडी जांच की भी अनुशंसा कर दी गई है।
 
बर्खास्त नहीं, मांगेगी इस्तीफा

सरकार योगेंद्र साव को बर्खास्त करने के बजाए इस्तीफा मांगेगी। सामने चुनाव देख गठबंधन में शामिल दल अपनी छवि को लेकर चिंतित हैं। वर्तमान हालात में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता मंत्री को हटाने की अनुशंसा भी नहीं कर सकते। पूर्व मंत्री चंद्रशेखर दूबे की बर्खास्तगी के समय इन पर उंगली उठी थी। इस प्रकरण से बचने के लिए कांग्रेस ने तीन सदस्यीय कमिटी बनाई है, जो पूरे प्रकरण की रिपोर्ट कांग्रेस आला कमान को सौंपेगी।
 
सरकार और कांग्रेस दोनों संकट में

योगेंद्र साव प्रकरण ने सरकार और कांग्रेस, दोनों को संकट में डाल दिया है। दोनों के बीच दुविधा की स्थिति बनी हुई है। मुख्यमंत्री के सामने संकट यह है कि सामने चुनाव है। अगर आरोप के आधार पर मंत्री योगेंद्र साव को हटा दिया जाता है, तो कैबिनेट मंत्री हाजी हुसैन अंसारी और सुरेश पासवान को भी हटाने का दबाव बन सकता है, क्योंकि इन दोनों मंत्रियों पर नेशनल लेवल की शूटर तारा शाहदेव के पति रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल से संबंध रखने के आरोप लगे हैं।
 
पॉलिग्राफी टेस्ट के लिए तैयार हूं : योगेंद्र साव

राज्य के कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने कहा है कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि वह न तो किसी उग्रवादी संगठन से जुड़े हैं और न ही इस तरह का संगठन ही चला रहे हैं। साव ने कहा कि नक्सली संगठन चलाने वाले मामले की सीआइडी जांच हो रही है। वह जांच में पूरा सहयोग करेंगे। वह पॉलिग्राफी और नारको टेस्ट से गुजरने को भी तैयार हैं। साव ने कहा कि उन्हें इस मामले में साजिश के तहत फंसाया गया है। इसमें राजनीतिक नेता, पुलिस और कोयला कंपनियों के अधिकारी शामिल हैं। 
 
उम्रकैद तक की हो सकती है सजा

राज्य के मंत्री योगेंद्र साव पर यदि रंगदारी मांगने, उग्रवादियों से सांठगांठ और हत्या के लिए सुपारी देने का आरोप कोर्ट में साबित हो जाएं, तो उन्हें दस साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।

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