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30 अगस्त 2014

सात महीने से आशुतोष महाराज की 'लाश' को Z सिक्युरिटी देने पर कोर्ट ने पूछा सवाल




नई दिल्ली. जालंधर के दिव्य ज्योति जागृति संस्थान नूरमहल के प्रमुख आशुतोष महाराज की देह की जेड श्रेणी सुरक्षा वापस लेने की मांग की गई है। इस मामले को लेकर दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस आशुतोष मोहंता और जस्टिस एचएस सिद्धू की बेंच ने पंजाब के मुख्य सचिव, डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी। पंजाब सरकार ने इस बारे में हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दायर कर बताया था कि इसी साल 28 जनवरी की रात सवा दो बजे सतगुरु प्रताप सिंह अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों की राय के अनुसार, आशुतोष महाराज क्लीनिकली डेड हो गए थे। लेकिन तब से लेकर आज तक वहां सीआरपीएफ और पंजाब पुलिस के जवान तैनात हैं, जहां आशुतोष महाराज के शरीर को रखा गया है। आशुतोष महाराज की देह को फ्रीजर में रखा गया है। उनके अनुयायियों का कहना है कि आशुतोष महाराज मृत नहीं हैं, बल्कि वे समाधि में हैं।

याचिका दायर करने वाले दिलबाग सिंह और अन्य ने अपनी याचिका में सवाल उठाया है कि एक ओर तो शव को जेड सुरक्षा दी गई है, दूसरी ओर गलियों व सड़कों पर उपयुक्त पैट्रोलिंग के अभाव में आम व्यक्ति असुरक्षित है। याचिका में हाईकोर्ट को बताया गया कि आशुतोष महाराज के शव की सुरक्षा वापस लेने के लिए सरकार को 17 जुलाई को एक मांग पत्र दिया गया था, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी कारण अब हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

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