आपका-अख्तर खान

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30 अगस्त 2014

में मक्खी नहीं

में मक्खी नहीं
जो गंदगी पर बैठ जाऊंगा
में मक्खी नहीं
जो लोगों के
ज़ख्मों से रिसती
मवाद को
पीने बैठ जाऊँगा
में तितली हूँ
में सिर्फ और सिर्फ
महकते गुलाबों पर
चहकते फूलों पर
बैठा करता हूँ
में मक्खी नहीं
में तितली हूँ ,,,

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