आपका-अख्तर खान

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29 अगस्त 2014

हर बार तुम्हे संवारा है

मेने आयना बनकर
हर बार तुम्हे संवारा है
तुमने मुझ में ही
खुद को
हर बार निहारा है
तुम्हारे चेहरे पर लगे हर दाग को
मुझ में ही देख कर
तुमने उस दाग को हटाया है ,,
तुम्हारी खूबसूरती की झलक
तुमने मुझमे देखी
तभी तो तुम्हे
तुम्हारी खूबसूरती का भ्रम भरमाया है
में आयना हूँ
मेने तुम्हे
तुम्हारे होने का अहसास दिलाया है
फिर भी देखो
तुमने मुझे ही तोड़ दिया
देख लो मेरे टुकड़ो टुकड़ों में भी
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा अक्स ही
तुम्हारे सामने आया है ,,
में तो आयना था
फिर भी देखो मेने वफ़ा की है
तुम तो इंसान हो
फिर तुम क्यों जफ़ा पर जफ़ा कर रहे हो ,,

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