Vikram Singh Chauhan
हम अधर्मी लोग हैं
मंदिर में घंटा नहीं बजाते
मस्जिदों में नमाज़ नहीं पढ़ते
गुरुवाणी नहीं पढ़ते
प्रार्थना नहीं करते
सुबह राशिफल नहीं देखते
अपने गाड़ी ,कार में शिवलिंग ,साईं नहीं रखते
उपवास नहीं रखते
रोज़ा नहीं रखते
बिल्ली के रास्ता काटने ,झींक आने पर भी घर से निकलते हैं
हाथ में धागा ,गले में ताबीज़ नहीं बांधते
घर में सत्यनारायण की पूजा नहीं करवाते
माँ काली को बकरा बलि नहीं देते
अक्सर मैं सोचता हूँ
इतने अपशकुनों और पाप के बावजूद हम लोग आखिर ज़िंदा कैसे हैं ?
हम अधर्मी लोग हैं
मंदिर में घंटा नहीं बजाते
मस्जिदों में नमाज़ नहीं पढ़ते
गुरुवाणी नहीं पढ़ते
प्रार्थना नहीं करते
सुबह राशिफल नहीं देखते
अपने गाड़ी ,कार में शिवलिंग ,साईं नहीं रखते
उपवास नहीं रखते
रोज़ा नहीं रखते
बिल्ली के रास्ता काटने ,झींक आने पर भी घर से निकलते हैं
हाथ में धागा ,गले में ताबीज़ नहीं बांधते
घर में सत्यनारायण की पूजा नहीं करवाते
माँ काली को बकरा बलि नहीं देते
अक्सर मैं सोचता हूँ
इतने अपशकुनों और पाप के बावजूद हम लोग आखिर ज़िंदा कैसे हैं ?
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