आपका-अख्तर खान

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27 अगस्त 2014

में रोज़

में रोज़ तुम्हारी
खूबसूरती ,,तुम्हारी मासूमियत
देखता हूँ ,,
में रोज़ तुम्हारी
अदाएं ,,हंसी ,,मुस्कान
देखता हूँ
एक बार नहीं
बार बार देखता हूँ
मेर रोज़ तुम्हारी
सुरीली आवाज़
कानों में जो शहद घोलती है
वोह बार बार सुनता हूँ
फिर ख़्वाब टूटता है
सोचता हूँ
तुम तो फ़िल्मी अदाकार हो
तुम्हे रोज़ टी वी पर फ़िल्मी परदे पर देखता हूँ
यह देखकर में
निराश ,,हताश हो जाता हूँ ,,
में तुम्हे रोज़ देखता हूँ रोज़ सुनता हूँ ,अख्तर

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