फाइल फोटो : प्रधानमंत्री
नई दिल्ली। आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार के कामकाज
से राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ (आरएसएस) खुश नहीं बताया जा रहा है और उसने
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया है। संघ की
चिंता यह भी है कि महंगाई और आर्थिक प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर फिलहाल
भाजपा का जो लापरवाह रवैया है, वह इस साल कुछ राज्यों में होने वाले
विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। दरअसल,
उत्तराखंड में हालिया विधानसभा उपचुनावों में जिस तरह कांग्रेस को तीनों
सीटों पर जीत मिली, उसने संघ की चिंता बढ़ा दी है।
संघ ने शाह को दिए संकेत
अंग्रेजी अखबार 'इकोनॉमिक टाइम्स' के मुताबिक संघ ने शाह से कहा है कि वह पार्टी मामलों को अपनी मर्जी से चलाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन दो माह पुरानी भाजपा सरकार का महंगाई और अन्य आर्थिक मुद्दों पर जो रवैया है, उससे आगामी विधानसभा चुनावों में नुकसान हो सकता है। एक सूत्र ने कहा, "सरकार पर उम्मीदों का जो बोझ है, अब वह निराशा में तब्दील होता जा रहा है। उत्तराखंड में हुए हालिया विधानसभा उपचुनाव को खारिज नहीं किया जा सकता है। दिल्ली में होने वाले चुनाव को लेकर भी चिंता है।"
अंग्रेजी अखबार 'इकोनॉमिक टाइम्स' के मुताबिक संघ ने शाह से कहा है कि वह पार्टी मामलों को अपनी मर्जी से चलाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन दो माह पुरानी भाजपा सरकार का महंगाई और अन्य आर्थिक मुद्दों पर जो रवैया है, उससे आगामी विधानसभा चुनावों में नुकसान हो सकता है। एक सूत्र ने कहा, "सरकार पर उम्मीदों का जो बोझ है, अब वह निराशा में तब्दील होता जा रहा है। उत्तराखंड में हुए हालिया विधानसभा उपचुनाव को खारिज नहीं किया जा सकता है। दिल्ली में होने वाले चुनाव को लेकर भी चिंता है।"
संघ की चिंता की वजह
आगामी चुनावों में भाजपा के प्रदर्शन को लेकर संघ की चिंता की ठोस वजह भी है। चुनाव विश्लेषक संजय कुमार का कहना है कि सीएसडीएस (सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटी) ने हाल में ही एक सर्वे कराया था। इसमें जब लोगों से पूछा गया कि मतदान के मद्देनजर उन्हें कौन-सा मुद्दा सबसे ज्यादा प्रभावित करता है तो 22 प्रतिशत लोगों ने महंगाई का नाम लिया था। इसके बाद सर्वे में शामिल 18 प्रतिशत ने विकास और 16 प्रतिशत ने भ्रष्टाचार का नाम लिया था।
आगामी चुनावों में भाजपा के प्रदर्शन को लेकर संघ की चिंता की ठोस वजह भी है। चुनाव विश्लेषक संजय कुमार का कहना है कि सीएसडीएस (सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटी) ने हाल में ही एक सर्वे कराया था। इसमें जब लोगों से पूछा गया कि मतदान के मद्देनजर उन्हें कौन-सा मुद्दा सबसे ज्यादा प्रभावित करता है तो 22 प्रतिशत लोगों ने महंगाई का नाम लिया था। इसके बाद सर्वे में शामिल 18 प्रतिशत ने विकास और 16 प्रतिशत ने भ्रष्टाचार का नाम लिया था।
जामिया मिलिया इस्लामिया के समाजशास्त्र के प्रोफेसर डॉक्टर
सव्यसाची कहते हैं, "आर्थिक मोर्चे पर किसी सरकार के प्रदर्शन और उसकी
विचारधारा के प्रसार के बीच सीधा जुड़ाव नहीं होता है। यह जवाबदेही की बात
है। सरकार तथ्यों और आंकड़ों को छुपा सकती है, लेकिन जिस तरह संघ ने भाजपा
के लिए काम किया है, लोगों के बीच उसकी जवाबदेही बनती है। संघ की चिंता की
वजह भी यही है।"
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