इंटरनेशनल डेस्क। गाजा पट्टी में हालात विध्वंसक हो चुके हैं।
इजरायल और इस्लामिक गुट हमास के बीच चल रहे खूनी संघर्ष की कीमत, यहां के
बच्चों को अपनी जान गवांकर चुकानी पड़ रही है। मरने वालों का आंकड़ा 340 को
भी पार कर चुका है। सिलसिला बदस्तूर जारी है।
बीते चार दिन में 60 जानें जा चुकी हैं। संयुक्त राष्ट्र की
रिपोर्ट बताती है कि 340 मौतों में से 70 मासूम शामिल हैं। इनमें ज्यादातर
वैसे मासूम हैं, जिन्हें जरा भी इल्म नहीं था कि उनके घर पर हमला क्यों
किया जा रहा है।
50 हजार लोग बेघर
गाजा के लोगों के मुताबिक, यहां हर सुबह की शुरुआत एकसाथ मस्जिद में
अजान, बंदूकों व टैंकों की आवाज से होती है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन
नेतन्याहू के आदेश के बाद सेना ने हवाई हमलों के साथ-साथ जमीनी कार्रवाई
को भी तेज कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली हवाई हमले के चलते
50,000 से ज्यादा फलस्तीनी बेघर हो चुके हैं।
12 दिनों के संघर्ष के दौरान इजरायल ने गाजा पर 2,000 से भी ज्यादा
हवाई हमले किए हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि जब से दोनों के
बीच खूनी संघर्ष की शुरुआत हुई है, तब से गाजा से पलायन करने वालों की
संख्या में दोगुना इजाफा हुआ है।
1948 में विभाजन के बाद फलस्तीन और इजरायल दो देश बने। 1948 में ही
अरब-इजरायल युद्ध शुरू हो गया, क्योंकि अरब देशों को ये बंटवारा मंजूर नहीं
था। इस दौरान लाखों फलस्तीनी विस्थापित हुए और एक बड़ा हिस्सा इजरायल के
नियंत्रण में आ गया। 1967 में फिर अरब-इजरायल युद्ध हुआ।
66 साल से जल रहा गाजा
इस खूनी संघर्ष का अतीत महज 12 दिन पुराना नहीं है, बल्कि 66 सालों से
ये इलाका इसी तरह हिंसा की आग में झुलस रहा है। गौरतलब है कि द्वितीय
विश्वयुद्ध के बाद यहूदियों के लिए एक अलग देश की मांग उठी। यहूदियों का
कहना था कि सदियों पहले यहूदी धर्म का यहीं जन्म हुआ था। इसी जमीन से
ईसाइयत का जन्म हुआ।
हालांकि, बाद में इस्लाम उदय से जुड़ा इतिहास भी यहीं लिखा गया। अब इस
इलाके में अरब फलस्तीनियों की आबादी बस चुकी थी। 1922 में इलाका ब्रिटिश
शासन के अधीन था। लेकिन यहूदियों व फलस्तीनियों के बीच गृहयुद्ध जारी रहा।
फिर 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने इलाके के बंटवारे पर सहमति दे दी। मई 1947
में ब्रिटिश शासन खत्म हो गया।
यासिर अराफात के वक्त शांत था माहौल
1967 में अरब-इजरायल
के बीच हुई लड़ाई में इजरायल ने गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया। हालांकि,
जॉर्डन, मिस्र समेत कई अरब देशों से इजरायल के अलग-अलग समझौतों के बाद गाजा
पर फिर से फलस्तीनियों का अधिकार हो गया। माना जाता है कि जब तक फलस्तीनी
नेता यासिर अराफात जीवित थे, तब तक इलाके में शांति थी, लेकिन उनके जाने के
बाद फिर से जमीन विवाद का संघर्ष शुरू हो गया।
2007 में इस्लामिक गुट हमास ने गाजा पट्टी को अपने कब्जे में ले लिया।
हालांकि, हमास के अलावा एक फलस्तीनी गुट भी है, जो लगातार अधिकार जमाने की
फिराक में है। लेकिन 66 साल पुराने यह किस्सा कब खत्म होगा, यह कहना
मुश्किल होगा। लेकिन जिस तरह से इजरायली सेना गाजा पर कहर बनकर टूट रही है,
जानकारों का कहना है कि हमास का सफाया हो सकता है।
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