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27 जुलाई 2014

बढ़े अफसोस और शर्म के साथ लिखना पढ़ रहा है

  1. बढ़े अफसोस और शर्म के साथ लिखना पढ़ रहा है के हमारे मुसलमानो और कथित मुस्लिम तंजीमों ने ज़कात के क़ुरानी हुक्म ,,और रिवायत को मखोल बना दिया है ,,,ज़कात बांटने का तरीका मुस्तहक़ की जगह चँदेबाज़ी में हो गया है ,,,,,,,ज़कात का पैसा तंज़ीमे इकट्ठा करने लगी है ,,ज़कात तंजीमों को जमा करने का प्रचार करने लगी है ,,,,,,जबकि ज़कात का हक़ पहला रिश्तेदारों पर है और वोह ज़कात देने वाला खुद बेहतर जानता है ,,,एक सामाजिक सुधार ,,पारिवारिक उत्थान के इस खुदा के हुक्म को लोगों ने मखोल बना दिया है ,,,हद तो यह हो गयी के तंज़ीमे अब ऐसा रुपया इकट्ठा करके सड़कों पर ,चौराहों पर मजमा लगाकर ,,मिडिया में फोटु खिंचवाकर लोगों को बांटने का ढकोसला भी करने लगी है ,,,,,,ज़कात के खुदाई क़ानून का सबसे ज़्यादा मखोल दाढ़ी वाले इस्लाम के जानकार मोलवी ,,मौलाना कर रहे है और इस्लाम की प्रचारक तंज़ीमे भी ज़कात बांटते वक़्त प्रचार प्रसार की दागदार हो गई है ,,,जबकि ज़कात सिर्फ ज़कात देने वाले और लेने वाले को ही पता होना चाहिए उसका अख़बारों और सड़को पर प्रचार प्रसार नहीं होना चाहिए ,खुदा ऐसे लोगों को नेक राह पर चलाये और मोलवी ,,मौलानाओं ,,क़ाज़ियों को अक़्ल दे के वोह अपने अपने मुक़ामी मुसलमानो को ज़कात का पहला हक़ रिश्तेदारों ,,पड़ोसियों ,,के लिए जो बनाया गया है उसके बारे में बताये ,,,,ज़कातियों को बहका फुसला कर ज़कात का रूपये मस्जिद ,,मदरसों और समाजों के लिए चँदेबाज़ी का गुनाह करने से बाज़ अाये ,,,,,,,अख्तर

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