आपका-अख्तर खान

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27 जुलाई 2014

,वकील और जज के बीच इस तरह का वातावरण न्यायिक व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है ,

बढ़े अफ़सोस के साथ लिखना पढ़ रहा है के इन दिनों वकालत की पहली सीढ़ी  चढ़कर जज की कुर्सी पर बैठने वाले और वकीलों के बीच बिना किसी कारण के विवाद हो जाने से राजस्थान भर में हड़ताल और न्यायिक कार्यों के बहिष्कार का वातावरण है ,,वकीलों के खिलाफ अवमानना मामले में जज के नोटिस के बाद भड़के वकीलों ने काम बंद किया तो इस बार सारी हदें ,,,क़ानून की मर्यादाएं पार कर जज भी ट्रेड यूनियन की तरह से एक हुए और वकीलों के खिलाफ खूब ज़हर उगला गया ,,वकील और जज के बीच इस तरह का वातावरण न्यायिक व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है ,,कल जयपुर में महापंचायत है ,,मामला वार्ता से जो सुलझ जाना चाहिए वोह अनावश्यक विवाद में घिर गया ,,खेर खुदा खेर करे और इस मामले में बार और बेंच के बीच फिर से गलत फहमिया दूर की जाकर सम्मानजनक हल के साथ खुशहाल वातावरण बने ऐसी हमारी कामना है ,,,,,,,,,,,कोई भी जज वकील होने के बाद ही जज की सीढ़ी पर जाता है ऐसे में वकीलों को जज की और जजों को वकीलों की परेशानियां समझना होंगी ,,,मर्यादाएं और हदें समझना होंगी ,,,वकील मर्यादित है ,,,,,,न्यायालय में सम्मान का वातावरण पक्षकारों के बीच में वही बिखेरता है ,फिर भी किसी भी गलत फहमी का स्थाई समाधान हो ऐसा हर वर्ग चाहता है मेने पहले भी उच्चतम न्यायलय और विधि आयोग को कुछ सुझाव भेजे थे फिर यहना लिख रहा हूँ ,,,,
,,,,,, देश की सभी छोटी ,,बढ़ी ,,हायकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में सी सी टी वी कैमरे लगाये जाए ,,,,,,,,,,,छोटी अदालतों सी सी टी वी कैमरे पर जिला जज और जिला जज के सी सी टी वी कैमरों की निगरानी हाईकोर्ट करे ,,,,,,सी सी टी वी कैमरे में अदालत की इजलास की समस्त कार्यवाहियां कब डायज़ पर आये ,,सुनवाई कब शुरू हुई ,,किस वकील ने क्या बहस की ,पक्षकारों की गवाही और सुनवाई कैसी रही ,रीडर का कार्य क्या रहा रिकॉर्ड हो और जो भी वकील पक्षकार चाहे उसे सुनवाई की सी डी उसके हिस्से तक राशि जमा करवाकर देने का प्रावधान हो ,,ऐसा होने से वकील ,,पक्षकार मर्यादित रहेंगे ,,अदालत में किस की गलती है ,,किसका अमर्यादित आचरण है किसने अदालत के नियमों की अवहेलना कर अदालत की अवमानना की है खुलासा हो जाएगा फिर चाहे जज हो ,,चाहे पक्षकार ,,चाहे कोर्ट ऑफीसर कहा जाने वाला वकील हो पकड़ा जाने पर कार्यवाही होना चाहिए ,,,,,,,,क्या ऐसा हो सकेगा ,,,,,,,,,,,,अदालतों में काम भी मर्यादित होंगे और जज वकील केसा काम करते है इसकी समीक्षा भी दोनों तरह से हो सकेगी ,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,वकील कोटे से जजों की नियुक्ति की जाकर जिस न्यायालय में वोह पैरवी करते है उसी हाईकोर्ट उन्हें जज बना कर बिठाना क्या न्याय संगत है ऐसे में क्या वकील कोटे के जजों को नियुक्त कर दूसरे राज्यों में नहीं भेजना चाहिए ताकि कामकाज प्रभावित ना हो ,,,,,,,
,,,,,,,,,,,बार कोंसिल ने अगर हड़ताल पर नहीं जाने की अंडरटेकिंग दे रखी है तो क्या जजों से ट्रेड यूनियन की तरह संघ बनाकर वातावरण नहीं बनाने बाबत अंडरटेकिंग नहीं लेना चाहिए ,,,,,,,,
,,,,,बार कोंसिल का चुनाव लड़ने वाला कोई भी सदस्य और जो कोई भी बार कोंसिल का सदस्य हो जाता है उसके लिए हाईकोर्ट का जज बनने के मामले में अयोग्यता का नियम हो क्योंकि इससे बार कोंसिल के काम में बाधा होती है और सदस्य अपने दूसरे कामों में लगे या ना लगे उन पर अनावश्यक जजों के साथ रहने उठने बैठने के आरोप लगते है ऐसा नहीं होना चाहिए ,,
,,,,जजों और वकील संगठन के बीच तीन माह में एक बार आवश्यक रूप से समस्या और संबंधों को लेकर बैठक हो जिसकी रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखी जाय ताकि विवाद होने से पहले ही वार्ता से मामले सुलझ जाए ,,,,,,,,,,,,,,
दोस्तों क्या ऐसा हो सकेगा ,,,,क्या आप और हम न्यायिक व्यवस्था में चल रहे ऐसे विवादों को विराम देने के लिए इस फार्मूले को लागू करवा सकेंगे ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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