आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

26 जुलाई 2014

एक दिन

कैसे हो तुम
एक दिन
हाँ तुम्हारा एक दिन
बरसों सा लगता है
आ जाओ बस आ जाओ
छोड़ों ज़िद
एक दिन नहीं
दो दिन नहीं
एक पर एक क्षण भी नहीं
ज़िंदगी का बसेरा तुम्हारे बगैर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...