आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

02 जुलाई 2014

यह दुआ बोहोत प्यारी है , इसको सुकून से पढ़ो

यह दुआ बोहोत प्यारी है , इसको सुकून से पढ़ो
और दिल में आमीन कहो हो सकता है के दुसरे लोगो की
आमीन से अपनी दुआ कबूल हो जाये ( आमीन )
ऐ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ,
ऐ सारी कायनात के शहंशाह ,
ऐ सारी मख्लूक़ के पालने वाले ,
ऐ ज़िन्दगी और मौत का फैसला करने वाले ,
ऐ आसमानो और ज़मीनो के मालिक ,
ऐ पहाड़ों और समन्दरों के मालिक ,
ऐ इन्शानो और जिन्नातों के माबूद ,
ऐ अर्श -ए -आज़म के मालिक ,
ऐ फरिश्तों के माबूद ,
ऐ इज़्ज़त और ज़िल्लत के मालिक ,
ऐ बिमारियों से शिफ़ा देने वाले ,
ऐ बादशाहों के बादशाह .
ऐ अल्लाह हम तेरे गुनाहगार बन्दे हैं ,
तेरे ख़ताकार बन्दे हैं ,
हमारे गुनाहों को माफ़ फरमा ,
हमारी ख़ताओं को माफ़ फरमा ,
ऐ अल्लाह हम अपने अगले पिछले,सगीरा,कबीरा, छोटे, बड़े सभी गुनाहों और खताओं की और ना -फरमानियों की माफ़ी मांगते हैं ...
ऐ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हम अपने गुनाहों
से तौबा करते हैं .हमारी तौबा क़ुबूल करले ..
ऐ अल्लाह हम गुनाहगार हैं ,
सियाकार हैं ,
बदकार हैं ,
तेरे हुक्मो के ना -फरमान हैं ,
ना -शुकरे हैं लेकिन मेरे माबूद तेरे नाम लेवा बंदे
हैं तेरी तौहिद की गवाही देते हैं .
तेरे सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं है .
तेरे सिवा कोई बंदगी के लायक नहीं है .
तेरे सिवा कोई ताऱीफ के लायक नहीं है .
हमारे माबूद हमारे गुनाह तेरी रेहमत से बड़े नहीं हैं .
तू अपनी रहमत से हमें माफ़ करदे
ऐ अल्लाह पाक आप हमें गुमराही के रास्ते से हटा कर सिरातल मुस्तक़ीम के रास्ते पे चलने वाला बना दे
ऐ अल्लाह ऐसी नमाज़ पढ़ने की तौफ़ीक़ अत कर जिस नमाज़ से तू राज़ी हो जाये ,
ज़िंदगी में ऐसे नेक अमल करने कि तौफ़ीक़ अता कर जिन अमालोंसे तू राज़ी हो जाये .
हमें ऐसी ज़िन्दगी गुज़ारने की तौफ़ीक़ अता कर जिस ज़िंदगी से तू राज़ी हो जाये .
ईमान पे ज़िंदा रख और ईमान पे ही मौत अता कर .
ऐ अल्लाह हमें तेरे हुक्मों की फ़र्माबरदारी करने वाला बना ..
और तेरे प्यारे हबीब जनाबे मोहम्मद रसूलुल्लाह (सलल्लाहो
ता 'आला अलैहि वस्सल्लम ) के नेक और पाकीज़ा तरीकों को अपनी ज़िन्दगी में लाने वाला बना .
ऐ अल्लाह हमारी परेशानियों को दूर करदे ,
ऐ अल्लाह जो बीमार हैं उन्हें शिफ़ा -कामिला अता फरमा .
ऐ अल्लाह जो क़र्ज़ के बोझ से दबे हुए हैं उनका क़र्ज़ जल्द से जल्द अदा करवा दे ,
ऐ अल्लाह शैतान से हमारी हिफाज़त फरमा
ऐ अल्लाह हलाल रिज़्क़ कमाने कि तौफ़ीक़ अता फरमा ,
ऐ परवर्दिगार- ए -आलम हमें माँगना नहीं आता लेकिन तुझे देना आता है तू हर चीज़ पे क़ादिर है ..
ऐ अल्लाह जो मांगा वो भी अता फरमा जो मांगने से रह गया वो भी इनायत फरमा ...
हमारी दुआ अपने रहम से अपने करम से क़ुबूल फरमा .और जिसने ये दुआ भेजी है और इसे आगे बढ़ा रहा है उसकी सारी परेशानियों,तकलीफ़ों,बिमारियों को दूर फरमा और सेहत तंदरूस्ती अता
कर .आमीन आमीन आमीन

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...