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01 जुलाई 2014

गोपाल सुब्रमण्यम को लेकर केंद्र सरकार के रवैये से नाराज हुए चीफ जस्टिस लोढ़ा


गोपाल सुब्रमण्यम को लेकर केंद्र सरकार के रवैये से नाराज हुए चीफ जस्टिस लोढ़ा
 
 
नई दिल्ली. कॉलेजियम द्वारा सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश के पद पर नियुक्ति के लिए सुझाए गए चार लोगों में शामिल पूर्व सॉलीसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम के नाम को हटाने पर चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा ने केंद्र सरकार की निंदा की है। एक कार्यक्रम के दौरान जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि मेरी सहमति के बिना सरकार ने ऐसा किया है। उन्होंने कहा, 'कार्यपालिका ने यह कदम मेरी जानकारी और सहमति के बिना उठाया है।' 
 
क्या है मामला
हाल में पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर अपनी  उम्मीदवारी वापस ले ली थी। उन्होंने इस बाबत मुख्य न्यायधीश को  पत्र लिखा था। सुब्रमण्यम ने कहा था कि सरकार चाहती है कि ऐसा व्यक्ति जज बने जो उसे बाधा नहीं पहुंचाए, कष्ट न दे। सरकार को जज नहीं मित्र चाहिए। एक न्यूज चैनल से बातचीत में सुब्रमण्यम ने कहा था कि 'उन्हें एनडीए सरकार के उस फैसले से निराशा हुई जिसमें कॉलेजियम से उनके नाम पर पुनर्विचार करने  कहा गया। जबकि तीन अन्य की उम्मीदवारी के प्रस्ताव स्वीकार कर लिए गए।' 56 वर्षीय सुब्रमण्यम यूपीए सरकार के वक्त सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं।
 
क्या है विवादः 
गोपाल सुब्रमण्यम का नाम उस पैनल में था जिनमें से सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया जाना था। विवाद तब गहराया, जब एनडीए सरकार ने सत्ता में आते ही चीफ जस्टिस से सुब्रमण्यम के नाम पर दोबारा विचार करने के लिए कहा। दरअसल, सुब्रमण्यम की नियुक्ति यूपीए सरकार ने की थी और वे सोहराबुद्दीन केस से भी जुड़े रहे हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार खासकर मोदी सुब्रमण्यम की नियुक्ति के पक्ष में नहीं है। हालांकि सरकार ने तीन अन्य नामों पर अपनी सहमति दे दी, जिनमें कोलकाता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण मिश्रा, उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और सीनियर एडवोकेट रोहिंटन नारिमन शामिल हैं।
 
क्या है विरोध का कारण 
सुब्रमण्यम के नाम पर आपत्ति दर्ज कराने के पीछे सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर केस है। दरअसल, सुब्रमण्यम इस केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एमिकस क्यूरी नियुक्त किए गए थे। सुब्रमण्यम की रिपोर्ट पर ही कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इस मामले में नरेंद्र मोदी के खासमखास अमित शाह पर उंगलियां उठी थीं।
इसके अलावा सीबीआई की रिपोर्ट भी सुब्रमण्यम पर उंगली उठाती है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सुब्रमण्यम के कुछ कंपनियों से पेशेवर रिश्ते थे, जबकि वे उस वक्त सरकार के अटार्नी नियुक्त थे। हालाकि सूत्रों का कहना है कि 2011 में सुब्रमण्यम ने तत्कालीन कानून मंत्री कपिल सिब्बल को पत्र लिखकर खुद पर लगे तमाम आरोपों से इनकार किया

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