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10 जुलाई 2014

मायावती को कोसा था, अब खुद दिखाया मूर्ति प्रेम! बजट में दिखा कथनी-करनी का फर्क




बजट पेश करने से पहले वित्‍त मंत्री अरुण जेटली और वाणिज्‍य मंत्री निर्मला सीतारमण 
 
नई दिल्‍ली. मूर्ति प्रेम को लेकर कभी मायावती को कोसने वाली भाजपा ने सरकार में आने के बाद पहले ही बजट में भारी मूर्ति प्रेम दिखाया है। पीएम मोदी के गृह राज्‍य गुजरात में सरदार बल्‍लभ भाई पटेल की मूर्ति स्थापित करने के लिए वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। गुजरात सरकार का दावा है कि इसे बनाने में करीब 2500 करोड़ की लागत आएगी, जिसके लिए राज्‍य सरकार के अलावा चंदे से रकम जुटाने की योजना है। 
 
केंद्र सरकार की ओर से इस मूर्ति के लिए पहली बार फंड का प्रावधान किया गया है। यह पीएम मोदी की महत्‍वाकांक्षा से जुड़ा प्राेजेक्‍ट है, यह सभी जानते हैं। बता दें कि 2011 में यूपी में तत्‍कालीन सीएम मायावती जब नोएडा में बने दलित प्रेरणा स्‍थल का उद्घाटन करने पहुंची थीं, तो बीजेपी प्रवक्‍ता राजीव प्रताप रूडी ने इस स्‍मारक को आम जनता के पैसे की बर्बादी करार दिया था। रूडी ने कहा था, 'लोकतंत्र में अगर आप कहते हैं कि आप अपनी मर्जी से रकम खर्च करते हैं तो कहीं न कहीं लोग आवाज जरूर उठाएंगे। रूडी ने कहा कि यूपी की जनता के हजारों करोड़ रुपए मूर्तियों पर बर्बाद कर दिए गए। आज रूडी की पार्टी बीजेपी के नेतृत्‍व वाली एनडीए सरकार ने जनता का पैसा बल्‍लभ भाई पटेल की मूर्ति बनवाने में खर्च करने का फैसला किया है।

मदरसाें के लिए 100 करोड़
नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने एक भाषण में एक ऐसे भारत की कल्‍पना की थी, जहां मुसलमान युवाओं के एक हाथ में कुरान होगी और दूसरे हाथ में कम्‍प्‍यूटर। इससे अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के बीच एकबारगी यही संदेश गया कि मोदी वाकई 125 करोड़ भारतवासियों के पीएम हैं, जैसा कि वह दावा करते हैं। ऐसी भी खबरें आई थीं कि मोदी अल्‍पसंख्‍यक समुदाय में पार्टी की छवि को बेहतर करना चाहते हैं। ऐसे में उनकी सरकार द्वारा मदरसों के विकास के लिए महज 100 करोड़ रुपए दिया जाना थोड़ा निराशाजनक लगता है। देश की कुल अाबादी में मुसलमानों की हिस्‍सेदारी करीब‍ साढ़े 13 पर्सेंट है। वहीं, असम में 30.9%, पश्चिम बंगाल में 25.2%, केरल में 24.7%, उत्तर प्रदेश में 18.5% और बिहार में 16.5% मुस्लिम आबादी है। इस वक्‍त पूरे भारत में हजारों मदरसे हैं, जहां इस्‍लामिक तालीम दी जाती है। ये मदरसे मुख्‍य तौर पर लोगों के दिए चंदे के बलबूते ही चलते हैं। हालांकि, कुछ राज्‍य सरकारें इस दिशा में थोड़ी बहुत मदद करती हैं, लेकिन मुस्लिम समुदाय के नेता इसे नाकाफी मानते हैं।  

बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ के लिए 100 करोड़ 
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने अपने बजटीय भाषण में ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ’ योजना की घोषणा करते हुए 100 करोड़ रुपए की रकम का प्रावधान किया। बजट प्रस्तुत करने के दौरान जेटली ने देश में बलिकाओं की शिक्षा के प्रति बरती जाने वाली उदासीनता के प्रति चिंता जताई।उन्होंने बताया कि दिल्ली में महिलाओं के लिए संकट प्रबंधन केंद्र खोला जाएगा, इसके लिए राशि निर्भया कोष से दी जाएगी। 
 
शिक्षा को मोदी कितनी अहमियत देते हैं, यह उनके कुछ वक्‍त पहले दिए गए एक बयान से पता चलता है। शिक्षा के प्रति फंडिंग को लेकर यूपीए सरकार की उदासीनता पर निशाना साधते हुए मोदी ने बताया था कि चीन अपने जीडीपी का 20 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करता है। मोदी के इस आंकड़े को लेकर उनकी खासी आलोचना भी हुई, लेकिन यह तो संकेत मिला कि वह शिक्षा के क्षेत्र को काफी गंभीरता से लेते हैं। मोदी ने पीएम बनने के बाद संसद में अपने पहले भाषण में कहा था कि मातृशक्ति को, अर्थात महिलाओं को आर्थिक प्रगति से जोड़ना होगा। ऐसे में लड़क‍ियों की शिक्षा और जीवन रक्षा के लिए 100 करोड़ रुपए की मामूली रकम उनके बयानों के बिलकुल उलट है।

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