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24 जुलाई 2014

रमज़ान के अंतिम दस दिनो की विषम रातों में से एक लैलतुल क़द्र

रमज़ान के अंतिम दस दिनो की विषम रातों में से एक लैलतुल क़द्र, ताकत की रात के रुप में जानी जाती है। यह अधिकतर सत्ताईसवीं रात मानी जाती है, जब अल्लाह ने अल-लौह-ए-महफूज से कुरान में अपने तफ़सीली संदेशो को नए रुप में भेजा था। ‘उसमें सभी मामलों के आदेश का विधान है’। बाद में, अल्लाह के ईलहाम का प्यार पैग़म्बर मोहम्मद के जरिए आया जो उन तक शाश्वत फरिश्ते गैब्रियल ने पहुँचाया था, वह सब भी इसी रात में हुआ था। इस संदेश का मतलब लड़ाई-झगड़े की स्थिति को एक करके शांति और प्रेम में बदलना था।

ईश्वरीय घोषणाएं कहती हैं कि यह रात एक आदमी की पूरी जिंदगी में आने वाले एक हजार महीनों से बेहतर होती है। दुआओं की पूरी जिंदगी की तुलना में इस रात में मांगी गई दुआएं ज्यादा असर रखती है। इस रात फरिश्ते अल्लाह की रहमतों और शिक्षाओं के साथ धरती पर आते हैं। इस रात के वैभव बारे में बताते हुए कुरान का पवित्र संदेश इसे स्पष्ट करता है कि ये वही रात है जिसने मोहम्मद और अन्य पैगम्बरों के जरिए पैगाम का खुलासा किया। कुछ जानकार इस मत के हैं कि संरक्षित पट्टिका से कुरान के जरिए मज़हबी संदेशो का आना रमज़ान के पिछले पड़ने वाले महीने शा’बान में शुरु हुआ था और यह प्रक्रिया इसी शक्तिशाली रात को पूरी हुई थी।

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