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21 जुलाई 2014

एक दिन में 34 इस्‍तीफे: असम में खतरे में कांग्रेस सरकार, महाराष्‍ट्र व घाटी में भी बगावत



फाइल फोटोः एक कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र के सीएम पृथ्वीराज चव्हाण (दाएं) के साथ उद्योग मंत्री नारायण राणे। 
 
नई दिल्ली. लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस को सोमवार को सबसे बड़ी बगावत झेलनी पड़ी। असम, जम्‍मू-कश्‍मीर और महाराष्‍ट्र में पार्टी के 34 नेताओं ने इस्‍तीफे दे दिए। इनमें से दो ने तो कांग्रेस पार्टी ही छोड़ दी। पार्टी छोड़ने वालों में असम सरकार के मंत्री हेमंत बिस्‍वास शर्मा और उधमपुर (जम्मू-कश्मीर) से दो बार सांसद रहे चौधरी लाल सिंह हैं। सिंह 2003 और 2008 में सांसद बने थे। जम्‍मू-कश्‍मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस से गठबंधन खत्म करने के फैसले से नाराज होकर उन्‍होंने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। 
 
महाराष्ट्र में उद्योग मंत्री नारायण राणे ने राज्य में नेतृत्व न बदलने के आलाकमान के फैसले से नाराज होकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन्‍होंने कहा, 'पार्टी ने मुझे मुख्‍यमंत्री बनाने का आश्‍वासन दिया था। लेकिन नौ साल हो गए। मैं और इंतजार नहीं कर सकता। उधर, असम में मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के खिलाफ कई दिनों से बढ़ रहा असंतोष सोमवार को चरम पर पहुंच गया। असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्‍वास शर्मा के नेतृत्व में पार्टी के कुल 32 विधायकों ने विधानसभा की सदस्‍यता से इस्तीफा दे दिया। शर्मा ने तो पार्टी की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। 
 
असम का संकट
असम में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद से ही बागी विधायक आलाकमान से नेतृत्व बदलने की मांग करते रहे हैं। अब 32 विधायकों के इस्‍तीफे के बाद राज्‍य की तरुण गोगोई सरकार खतरे में आ गई है। असम में विधानसभा की कुल 126 सीटें हैं। सदन में बहुमत साबित के लिए 84 सीटों की जरूरत होती है। हेमंत शर्मा का कहना है कि उनके पास कांग्रेस के 78 में से 40 विधायकों का समर्थन है।
 
हेमंत की अगुवाई में विधायकों ने सीएम की मुखालफत करते हुए राज्यपाल से भी मुलाकात की। राज्य के कद्दावर मंत्री माने जाने वाले हेमंत ने कहा कि मैंने अंतर आत्मा की आवाज सुनकर इस्तीफा दिया है। उन्‍होंने यह भी कहा कि वह मुख्‍यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं। खबरों के मुताबिक कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का समर्थन कर रहे हैं। पार्टी ने पूरे मामले को सुलझाने के लिए सीपी जोशी और मल्लिकार्जुन खड़गे की कमेटी बनाई है।
 
महाराष्ट्र में मुश्किल
महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद से नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठ रही थी, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने ऐसा करने से मना कर दिया। यहां लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने काफी खराब प्रदर्शन किया था। इसके बावजूद नेतृत्‍व परिवर्तन की मांग नहीं माने जाने से नाराज राणे ने सोमवार को इस्‍तीफे का दांव चल कर पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर दी। राणे का कहना है कि आलाकमान ने उन्हें सीएम पद देने का आश्वासन दिया है लेकिन नौ साल के बाद अभी तक उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। अभी तक राणे का इस्‍तीफा मुख्‍यमंत्री ने मंजूर नहीं किया है। उन्‍हें मनाने की कोशिशें जारी हैं। 
 
कुनबे में भी टूट
कांग्रेस की चुनौतियां यहीं खत्म नहीं हुई हैं। पार्टी के सामने यूपीए के कुनबे से दूर हो रहे सहयोगी दलों को साथ रखना भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। बताया जा रहा है कि कश्मीर के बाद अब महाराष्ट्र में शरद पवार की पार्टी के साथ कांग्रेस का गठबंधन खत्म हो सकता है।

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