आपका-अख्तर खान

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24 जून 2014

मुझे है तुमसे प्यार

मुझे है तुमसे प्यार
हाँ तुम्ही ने कहा था
मुझे है तुमसे नफरत
हां तुम्ही ने कहा था
तुम बिन दिल ना लागे
हां तुम्ही ने कहा था
मुझे हर वक़्त रहता है
तुम्हारा इन्तिज़ार
हाँ तुम्ही ने कहा था
मेरे बदशक्ल चेहरे
को गोर से देखकर
तुमने कहा था
प्यार शक्ल सूरत से नहीं
दिल से होता है
तुमने मुस्कुरा कर कहा था
हाँ तुम्ही से सिर्फ तुम्ही से प्यार है ,,
अगर वोह बाते झूंठी थी
तो तुम जहां हो वहां खुश रहो मेरे बगैर
अगर वोह बाते सच्ची थी
तो में पूँछूँगा ज़रूर
जब टूटते हालातो
टूटते लम्हों में
मुझे तुम्हारी ज़रूरत है
मुझे टूटकर बिखरने से बचाने के लिए
तुम कहा हो ,,तुम कहा हो ,,तुम कहा हो ,,,,,,,अख्तर

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