फाइल फोटो: बेटे की मौत का गम आज भी नहीं भुला पाए एनकाउंटर में मारे गए विकास के माता-पिता
पटना. बिहार की राजधानी पटना के आशियाना नगर में 12 साल
पहले हुए फर्जी मुठभेड़ मामले में कोर्ट ने मंगलवार को दोषियों को सजा
सुनाई। यह मामला फोन बिल दो रुपए ज्यादा आने पर पीसीओ मालिक द्वारा
छात्रों की पिटाई और बाद में पुलिस द्वारा छात्रों को गोली मार दिए जाने का
है। मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी शम्से आलम को फांसी, जबकि सात अन्य
दोषियों को मरते दम तक उम्र कैद की सजा सुनाई गई। इस मामले में पांच जून को
पटना सिविल कोर्ट ने तत्कालीन शास्त्रीनगर थाना प्रभारी और एक सिपाही समेत
आठ लोगों को दोषी करार दिया था।
क्या है मामला
तीन युवा दोस्तों विकास रंजन, प्रशांत और हिमांशु में से प्रशांत को मर्चेंट नेवी में नौकरी मिली थी। हिमांशु को उसके इंजीनियर पिता की मौत के बाद अनुकंपा पर सरकारी नौकरी मिली थी। कुछ ही दिनों बाद दोनों नौकरी ज्वाइन करते। इसी कड़ी में दोनों छात्रों के पुलिस वेरिफिकेशन के कागजात शास्त्रीनगर थाने में पहुंचे। जांच के बाद दोनों के चरित्र को पुलिस ने संबंधित रिकॉर्ड में ‘उत्तम’ दर्ज किया। इसके ठीक दो दिन बाद ही 28 दिसंबर, 2002 को उसी थाने की पुलिस ने आशियाना नगर में फर्जी मुठभेड़ में हिमांशु व प्रशांत के साथ विकास को भी मार गिराया और तीनों छात्रों को डकैत करार दिया।
तीन युवा दोस्तों विकास रंजन, प्रशांत और हिमांशु में से प्रशांत को मर्चेंट नेवी में नौकरी मिली थी। हिमांशु को उसके इंजीनियर पिता की मौत के बाद अनुकंपा पर सरकारी नौकरी मिली थी। कुछ ही दिनों बाद दोनों नौकरी ज्वाइन करते। इसी कड़ी में दोनों छात्रों के पुलिस वेरिफिकेशन के कागजात शास्त्रीनगर थाने में पहुंचे। जांच के बाद दोनों के चरित्र को पुलिस ने संबंधित रिकॉर्ड में ‘उत्तम’ दर्ज किया। इसके ठीक दो दिन बाद ही 28 दिसंबर, 2002 को उसी थाने की पुलिस ने आशियाना नगर में फर्जी मुठभेड़ में हिमांशु व प्रशांत के साथ विकास को भी मार गिराया और तीनों छात्रों को डकैत करार दिया।
विवाद बढ़ने पर 4 जनवरी, 2003 को बिहार सरकार ने केस सीबीआई को सौंप
दिया। सीबीआई ने 18 फरवरी, 2003 को प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की।
थानेदार ने फर्जी मुठभेड़ की कहानी गढ़ी
सीबीआई इस नतीजे पर पहुंची कि सम्मेलन मार्केट स्थित एसटीडी बूथ के
मालिक कमलेश ने दो रुपए ज्यादा बिल आने की शिकायत करने पर तीनों छात्रों
को बुरी तरह मारपीट कर अधमरा कर दिया। साथ ही, बचने के लिए मामले को डकैती
का रूप देने की कोशिश की। इतना ही नहीं, वहां पहुंचे थाना प्रभारी शम्से और
सिपाही अरुण ने तीनों छात्रों को गोली मार दी, जिससे उनकी घटनास्थल पर
ही मौत हो गई। इसके बाद थाना प्रभारी ने फर्जी मुठभेड़ की कहानी गढ़ी।
घटनाक्रम
28 दिसंबर 2002: आशियाना में फर्जी मुठभेड़ हुआ
18 फरवरी 2003: सीबीआई की एफआईआर व जांच शुरू
05 जून 2014: कोर्ट का फैसला, आठ दोषी करार
24 जून 2014 : अदालत ने दोषियों को सुनाई सजा
28 दिसंबर 2002: आशियाना में फर्जी मुठभेड़ हुआ
18 फरवरी 2003: सीबीआई की एफआईआर व जांच शुरू
05 जून 2014: कोर्ट का फैसला, आठ दोषी करार
24 जून 2014 : अदालत ने दोषियों को सुनाई सजा
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